Pakistan News: पाकिस्तान में एक बार फिर आटे के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। सिंध सरकार ने गेहूं पर सब्सिडी देकर बाजार को काबू में करने की कोशिश की थी, लेकिन ये सभी प्रयास अब तक नाकाम साबित हो रहे हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि आम लोगों के लिए रोजमर्रा का भोजन और महंगा हो गया है।
सरकारी गेहूं लेने से मिल मालिकों का इनकार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आटा मिल मालिकों ने सरकारी गोदामों से गेहूं लेने से मना कर दिया है। उनका आरोप है कि फूड डिपार्टमेंट के अधिकारी गेहूं जारी करने के बदले रिश्वत मांग रहे हैं। इस वजह से मिल मालिकों के लिए सरकारी गेहूं लेना मुश्किल हो गया है और संकट और गहरा गया है।
फूड डिपार्टमेंट पर घूस मांगने के आरोप
पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार, आटा मिल मालिकों का कहना है कि फूड डिपार्टमेंट के अधिकारी प्रति बोरी 1,000 से 1,200 पाकिस्तानी रुपये तक की रिश्वत मांग रहे हैं। रिश्वत न देने पर गेहूं रिलीज नहीं किया जा रहा, जिससे मिलों का काम प्रभावित हो रहा है।
खुले बाजार से महंगा गेहूं खरीदने की मजबूरी
सरकारी गेहूं न मिलने के कारण आटा मिल मालिकों को खुले बाजार से ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीदना पड़ रहा है। इसका सीधा असर आटे की कीमतों पर पड़ रहा है। अंततः इस महंगाई का बोझ आम जनता को उठाना पड़ रहा है।
खुदरा बाजार में आटे के दाम आसमान पर
इन हालातों के चलते खुदरा बाजार में 5 किलो आटे का पैकेट 630 पाकिस्तानी रुपये तक बिक रहा है। कुछ जगहों पर तो इसकी कीमत 650 रुपये तक पहुंच गई है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की परेशानी और बढ़ गई है।
सब्सिडी वाले गेहूं की कालाबाजारी के आरोप
सिंध में स्थिति तब और बिगड़ गई जब आरोप लगे कि सब्सिडी पर मिलने वाला गेहूं कुछ व्यापारी खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इस पूरे खेल में फूड डिपार्टमेंट के कुछ अधिकारियों का मौन समर्थन है। इससे सप्लाई सिस्टम पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
मिल मालिकों में बढ़ा आक्रोश
इन आरोपों के बाद आटा मिल मालिकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि यह पूरा मामला सप्लाई सिस्टम के साथ खिलवाड़ है, जिससे कृत्रिम कमी (आर्टिफिशियल शॉर्टेज) पैदा की जा रही है।
इमरजेंसी बैठक में उठे गंभीर सवाल
स्थिति को देखते हुए फ्लोर मिल ओनर्स सोशल वेलफेयर एसोसिएशन ने हैदराबाद प्रेस क्लब में एक इमरजेंसी बैठक बुलाई। इस बैठक की अध्यक्षता संगठन के प्रमुख हाजी मोहम्मद मेमन ने की।
सब्सिडी नीति पर चेतावनी
बैठक में मिल मालिकों ने सब्सिडी फ्रेमवर्क में व्यापारियों को शामिल किए जाने का विरोध किया। उनका कहना है कि ऐसी नीतियां बाजार में हेराफेरी और कृत्रिम संकट को बढ़ावा देती हैं। साथ ही चेतावनी दी गई कि अगर जल्द सुधार नहीं हुआ, तो हालात और खराब हो सकते हैं।