मोगाः जालंधर रोड पर वर्ष 1963 में अधिग्रहित की गई 3 कनाल जमीन से जुड़े एक बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। आरोप है कि जमीन का रिकॉर्ड खुर्द-बुर्द कर सी.एल.यू. बदलकर इस जमीन को दोबारा 3.62 करोड़ रुपये में अधिग्रहित किया गया। इस मामले में एडीसी चारुमिता के खिलाफ दोष पत्र जारी किया गया है। इसी के साथ ही विजिलेंस विभाग को पूरी जांच सौंप दी गई है, ताकि इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका का भी पता लगाया जा सके। उधर, एडीसी चारुमिता ने सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है। एडीसी व नगर निगम की कमिश्नर डॉ.चारुमिता ने कहा कि जिस मामले में चार्जशीट किया गया है, उसे मामले में विजिलेंस ब्यूरो पहले ही अपनी जांच क्लीन चिट दे चुकी है।
बिजनेस की जांच में तथ्यों के आधार पर स्पष्ट किया गया है कि इस मामले में पैसों का लेन-देन हुआ ही नहीं है। सरकार का पैसा सरकारी खाते में ही है। इसलिए कोई अपराध बनता ही नहीं है अखबार में लगी ख़बर के अनुसार जमीन मालिक को मुआवजा देने का भी जिक्र किया गया है, जबकि अभी तक यह राशि जमीन के मालिक को दी ही नहीं गई है। यही नहीं 1945 से लेकर अब तक धर्मकोट के रेवेन्यू रिकॉर्ड में गांव बहादरवाला की जगह में पीडब्ल्यूडी या किसी भी अन्य सरकारी विभाग की जगह का जिक्र ही नहीं है।
धर्मकोट के जिस जसविंदर सिंह पुत्र हरदीप सिंह उर्फ फौजी ने अधिग्रहित की गई जमीन के 2 कैनाल 19 मरले जमीन पर अपनी मालिकी का दावा कर मुआवजा देने के लिए हाई कोर्ट में दावा किया है। 1966 से लेकर अभी तक राजस्व रिकॉर्ड में वही मालिक हैं। उस जगह पर पेट्रोल पंप भी बना हुआ है। एसडीएम की भूमिका सिर्फ इतनी होती है कि वह जमीन को कैलकुलेशन करके उसकी कीमत बताएं उसके अनुसार जगह की कीमत 3 करोड़ 62 लाख बनती है। जो अवार्ड तैयार किया गया था। उसका नियम है, अवार्ड की राशि सरकार की जिस संस्था को देनी होती है उस विभाग से अवार्ड लेने वाले को अप्रूवल लेनी होती है।
अभी तक अप्रूवल लिया नहीं गया। इसीलिए अवार्ड की राशि मुआवजा का क्लेम करने वाले को नहीं दी गई है। एडीसी चारूमिता का कहना है कि अखबार में लगी खबर में यह भी कहा गया है कि उन्होंने जमीन का अप्रूवल 2013 में किया था, जबकि वो 2014 में जॉब में आई हैं। एसडीएम को सीएलयू मंजूर करने का अधिकार ही नहीं होता है। सीएलयू गमाड़ा मंजूर करती है। चारूमिता ने बड़े ही भावुक होते हुए कहा कि उनकी 11 साल की सेवाओं छवि को खराब करने का कोशिश की गई है। जिस तरह से 18 सितंबर को मीडिया में रिपोर्ट प्रकाशित की गई उसी दिन हाईकोर्ट में भी उस केस की तारीख थी। शंका यह भी है कि कि खबर को किसी साजिश के तहत प्लांट कर मुझे फसाया जा रहा है।