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टीबी उन्मूलन की राह पर तेजी से अग्रसर ऊना जिला

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इस साल 200 पंचायतों को क्षय रोग मुक्त बनाने का लक्ष्य

ऊना/सुशील पंडित: ऊना जिला टीबी उन्मूलन की राह पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ‘टीबी मुक्त ऊना’ का लक्ष्य तय करते हुए इस वर्ष 200 पंचायतों को क्षय रोग मुक्त घोषित करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग ने ठोस पहल शुरू की है। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए जिला क्षय रोग विभाग ने आधुनिक तकनीक, सशक्त योजनाओं और सामुदायिक भागीदारी को आधार बनाकर प्रयासों को गति दी है।

जांच में नई गति
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजीव वर्मा बताते हैं कि वर्ष 2015 में जिले में प्रति लाख जनसंख्या पर केवल 655 लोगों की ही जांच हो पाती थी, जबकि 2025 तक इस संख्या को बढ़ाकर 5000 प्रति लाख करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में ज़िला ऊना के पांच अस्पतालों में अत्याधुनिक तकनीक की मदद से क्षय रोग की जांच की जा रही है।
वे बताते हैं कि वर्ष 2024 में 29,176 संभावित रोगियों की जांच की गई, जिनमें 802 रोगी क्षय रोग से पीड़ित पाए गए। वहीं 31 जुलाई 2025 तक 15,271 संभावित रोगियों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 540 रोगियों की पुष्टि हुई है।  रोगियों की शीघ्र पहचान कर समयबद्ध उपचार और पोषण सहायता सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

अब तक ज़िले की 105 पंचायतों को क्षय रोग मुक्त घोषित किया जा चुका है। इन पंचायतों को जिला स्तर पर महात्मा गांधी की कांस्य और चांदी की प्रतिमाओं से सम्मानित किया गया है। आने वाले समय में इस संख्या को बढ़ाकर 200 पंचायतों तक ले जाने का लक्ष्य है।

100 दिनों का विशेष अभियान

जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ विशाल ठाकुर बट्टे हैं कि जिले में इन दिनों 100 दिनों का विशेष क्षय रोग मुक्त अभियान भी चल रहा है। इस अभियान के तहत अब तक 51,665 एक्सरे किए जा चुके हैं और एक लाख से अधिक एक्सरे का लक्ष्य निर्धारित है। इसी अवधि में 81 नए क्षय रोगियों का पंजीकरण भी किया गया है।
डॉ. विशाल ने बताया कि सभी रोगियों को निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 1000 रुपये दिए जाते हैं, जबकि गंभीर श्रेणी के रोगियों को मुख्यमंत्री क्षय रोग निवारण योजना के तहत अतिरिक्त 1500 रुपये की सहायता भी प्रदान की जाती है।

सामुदायिक भागीदारी है सफलता की कुंजी

इस अभियान को सफल बनाने में प्रशासन भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उपायुक्त जतिन लाल का कहना है कि सामुदायिक भागीदारी और जन-जागरूकता ही इस मुहिम की सफलता की असली कुंजी है। स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग और विभिन्न सामाजिक संगठनों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है, ताकि सामूहिक प्रयासों से लक्ष्य हासिल किया जा सके।

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