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सस्ता होगा पेट्रोल डीजल? केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का आया बड़ा बयान

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नई दिल्ली: कच्चे तेल की लगातार घटती कीमतों के चलते भारत की तेल कंपनियों पर कीमतें घटाने का दबाव बढ़ने लगा है। भारत में एक साल से भी अधिक समय से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर हैं। तेल विपणन कंपनियां पहले ही अपना घाटा पूरा होने तक कीमतों में कटौती करने से इनकार कर चुकी हैं। इस बीच सरकार की ओर से भी इस बारे में बयान आ गया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं, तो तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटाने पर विचार करने की स्थिति में होंगी। 

पुरी ने पेट्रोल कीमतों पर विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए हालांकि कहा कि वह इस मुद्दे पर कोई घोषणा करने की स्थिति में नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तेल कंपनियों के आगामी तिमाही नतीजे अच्छे होंगे। उन्होंने कहा, “आगे चलकर देखेंगे कि क्या किया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने पिछली तिमाही में ‘ठीक’ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा, “उन्होंने कुछ घाटे की भरपाई कर ली है। उन्होंने अपनी कॉरपोरेट जिम्मेदारी बहुत अच्छी तरह निभाई है। हम जैसे आगे बढ़ेंगे, हम देखेंगे कि क्या किया जा सकता है।” 

ऐसी खबरें आ रही थी कि तेल कंपनियां जल्द ही कीमत में कटौती का ऐलान कर सकती है। इसके पीछे वजह बताई जा रही थी कि तेल कंपनियों ने अपने घाटे की भरपाई कर ली है। लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। तीनों सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी आने से पेट्रोल और डीजल पर मार्जिन बढ़ने के बावजूद इनकी खुदरा कीमतों में बदलाव तभी होगा जब सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई कर लेंगी। 

सरकारी क्षेत्र की तीनों पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल की कीमतों में दैनिक बदलाव करने पर पिछले साल से ही रोक लगाई हुई है। उन्होंने अपनी लागत के अनुरूप कीमतों में संशोधन भी नहीं किया है। दरअसल ये कंपनियां कच्चे तेल की कीमतें खुदरा बिक्री कीमतों से ज्यादा होने पर पिछले साल हुए भारी घाटे की भरपाई अब लागत घटने पर कर रही हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) देश में पेट्रोल, डीजल की खुदरा बिक्री करती हैं। 

अधिकारियों ने कहा कि तीनों कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही से ही पेट्रोल पर सकारात्मक मार्जिन कमाया है लेकिन डीजल बिक्री पर उन्हें उस समय भी घाटा हो रहा था। हालांकि पिछले महीने डीजल पर भी पेट्रोलियम कंपनियों का मार्जिन 50 पैसे प्रति लीटर के लाभ के साथ सकारात्मक हो गया। लेकिन पिछले साल हुए भारी घाटे की भरपाई के लिए यह पर्याप्त नहीं है। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद मार्च, 2022 में 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। हालांकि अब ये कीमतें 75-76 डॉलर तक आ चुकी हैं। कच्चे तेल (Crude Oil) के दाम ऊंचे स्तर पर होने की स्थिति में तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 17.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 27.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा हुआ। 

अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कीमतें कुछ नरम होने पर तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर का मार्जिन कमाया लेकिन डीजल पर उन्हें 6.5 रुपये प्रति लीटर का घाटा हुआ था। इसके बाद जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में पेट्रोल पर उनका मार्जिन कम होकर 6.8 रुपये प्रति लीटर हो गया। लेकिन उन्हें डीजल पर मार्जिन 0.5 रुपये प्रति लीटर का सकारात्मक हुआ। अधिकारियों ने कहा कि पिछले घाटों की भरपाई करने के अलावा सार्वजनिक तेल कंपनियां इस पहलू पर भी नजर रखे हुए हैं कि कच्चे तेल की कम कीमतें लंबे समय तक कायम रहेंगी या नहीं। एक अधिकारी ने कहा, “मुझे लगता है कि तेल कंपनियां कम-से-कम एक और तिमाही तक कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखने के बाद ही पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतों में संशोधन पर कोई फैसला करेंगी।”

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