Health Tips: जैसे ही शरद ऋतु के पत्ते गिरते हैं और हवा में ठंड लगती है, कई लोग अक्टूबर और नवंबर में मौसमी बीमारियों से जूझते हुए पाते हैं। मौसम में बदलाव को अक्सर बीमारी में इजाफे के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, इन महीनों के दौरान लोगों को बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के पीछे के कई कारण हैं और सिर्फ तापमान में गिरावट ही वजह नहीं हैं।
1. अक्टूबर और नवंबर में दिन छोटा होने लगता है जिससे हम धूप के संपर्क में कम आते है, इससे विटामिन डी के उत्पादन में कमी आ जाती है, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए बेहद जरूरी है। यही वजह है कि इस दौरान हमें ज्यादा वायरल इंफेक्शन का सामना करना पड़ता।
2. इन दोनों महीनों में लोग बाहर से ज्यादा इंडोर में वक्त गुजारते हैं क्योंकि सर्द हवाएं त्वचा को चुभने लगती है। क्योंकि कई लोग एक साथ संपर्क में आते हैं इसलिए वायरस को फैलने के लिए आइडियल कंडीशन बन जाता है।
3. बरसात के बाद मौसम बदलने लगता है और जगह-जगह पानी जमा होने लगते हैं, जो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मच्छरों के लिए परफेक्ट ब्रीडिंग ग्राउंड तैयार कराता है। अक्टूबर-नवंबर आते आते इन मच्छरों की संख्या काफी ज्यादा हो जाती है, जिससे बीमारी फैलती है।
4. मौसम न ही ज्यादा गर्म और न ही ज्यादा ठंडा होता है, ऐसे में लोग घटते और बढ़ते तापमान में लापरवाही कर बैठते हैं, जैसे देर रात के वक्त ठंडे कपड़े न पहनना, लो टेम्प्रेचर के दौरान नहाना। ऐसी गलतियां कई लोगों को भारी पड़ जाती है।
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