धर्मः मकर संक्रांति एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति के बदलाव का उत्सव है। यह दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जिससे उत्तरायण की शुरुआत होती है और शीत ऋतु का अंत करीब आता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। शनि, जो मकर राशि के स्वामी हैं, का अपने पिता से संबंध मधुर नहीं था। फिर भी, सूर्य देव बिना किसी द्वेष के उनके घर जाते हैं, जो पिता-पुत्र के संबंधों को मधुर बनाने का संदेश देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि पारिवारिक रिश्तों में प्रेम और सम्मान बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, भले ही परिस्थितियां कैसी भी हों।
इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध की समाप्ति की घोषणा की थी। इस उपलक्ष्य में उन्होंने सभी के घरों में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया था। इसलिए, मकर संक्रांति को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। लोग गरीबों को तिल, गुड़, खिचड़ी, और वस्त्र दान करते हैं।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और रीति-रिवाजों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो हमें प्रकृति के चक्र, रिश्तों के महत्व, और दान-पुण्य की महिमा का संदेश देता है।