जम्मूः पहलगाम के पास बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। साल 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद ये घाटी में हुआ सबसे घातक हमला है। यह हमला प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकी संगठन से जुड़े एक कट्टर समूह द्वारा किया गया है। इस हमले में पाकिस्तान के आतंकवादी शामिल थे। जिन्होंने स्थानीय आतंकवादियों की मदद से इस हमले को अंजाम दिया। कहा जा रहा कि हमले के पीछे 26/11 हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद का हाथ है।
वहीं दूसरी ओर सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का अंदेशा है कि हमले की साजिश पीओके में रची गई और यह पाकिस्तान सेना और आईएसआई की जानकारी में हुआ है। एजेंसियां यह गुत्थी भी सुलझाने का प्रयास करेंगी कि क्या जैश, लश्कर और हमास का पीओके में दिखा गठजोड़ इस हमले के पीछे है। इसके चलते ही हमले का पैटर्न भी वैसा ही रहा है। पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से आतंकी तंत्र एक बार फिर बहुत ज्यादा सक्रिय हो गया है। खुलेआम सभाओं में कश्मीर के नाम पर भड़काने वाले भाषण दिए जा रहे हैं। पाकिस्तान आर्मी चीफ के अलावा आतंकी सरगनाओं का कुछ समय पहले दिया गया भड़काऊ भाषण भी एजेंसियों की जांच के दायरे में है। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय से जैश का सरगना भी सक्रिय हो गया है। एजेंसियों का मानना है कि यह हमला अकेले टीआरएफ द्वारा अंजाम नहीं दिया जा सकता। इसके पीछे व्यापक साजिश और कई विदेशी आतंकी गुटों का हाथ है।
सूत्रों ने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में करीब 75 दिन पहले एक रैली और सम्मेलन में हमास के वरिष्ठ नेताओं को सार्वजनिक रूप से देखा गया था। एक आयोजन में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और लश्कर-ए-मुस्तफा (एलईएम) जैसे आतंकी संगठनों के शीर्ष नेतृत्व के शामिल होने की खबर भी एजेंसियों को मिली थी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में पिछले दो दशकों का सबसे घातक आतंकी हमला देखा गया इसलिए एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने पुंछ से उस मार्ग का इस्तेमाल किया जो उस स्थान के सबसे नजदीक है, जहां सम्मेलन आयोजित किया गया था। हालांकि, एजेंसियों ने अभी इस हमले में हमास की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संलिप्तता का निर्णायक सबूत या गठजोड़ स्थापित नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि यह सात अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले से काफी मिलता-जुलता है। घटना की मोडस ऑपरेंडी, लक्ष्य चुनने का तरीका सहित कई अन्य समानताएं हैं हालांकि दोनों जगहों पर हिंसा का स्तर अलग रहा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि पांच फरवरी को रावलकोट, पीओके में आयोजित ‘कश्मीर सॉलिडेरिटी एंड हमास ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड में लगभग 90-100 आतंकवादी मौजूद थे। इसका आयोजन पाकिस्तान और फलस्तीन के बीच इजरायल और भारत के खिलाफ एकजुट मोर्चे की पटकथा लिखने के लिए किया गया था। हमास के नेता डॉ. खालिद कद्दौमी, डॉ. नाजी जहीर, मुफ्ती आजम और पांच अन्य ने इस सभा को संबोधित किया। उन्होंने पाकिस्तान, फलस्तीन और अपने संगठन के झंडों की छपाई वाले शॉल पहने हुए थे। भारत के सबसे वांछित आतंकवादी मसूद अजहर का भाई तल्हा सैफ भी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख सदस्यों में शामिल था।