नगर निगम के पार्षदों ने प्रदेश सरकार व प्रशासन को ठहराया जिम्मेवार
-कहा.. समय रहते नहीं साफ हुई खडडे/नाले, 6 घंटे की बारिश ने खोली प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पोल
ऊना\सुशील पंडित: शासन व प्रशासन की लापरवाही के कारण ऊना शहर पूरी तरह से जलमग्र हो गया। सरकारी कार्यालयों, दुकानों व घरों में पानी घुसने से लोगों को करोड़ों का नुकसान हो गया। यह बात नगर निगम ऊना के पूर्व चेयरमैन व पार्षद पुष्पा देवी व पूर्व उपाध्यक्ष विनोद कुमार बोधा ने कहीं। पार्षदों ने कहा कि भाजपा सरकार ने ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती के प्रयासों से ऊना शहर में 22 करोड़ रुपए से नाले बनाए हैं। जिससे ऊना शहर में जलभराव की समस्या का समाधान हुआ, लेकिन प्रशासन ने इस बार नालों व खडडों को समय रहते साफ नहीं करवाया। अब जब बरसात मुहाने पर आ खड़ी हुई थी, तो प्रशासन को इन नालों को साफ करवाने की याद आई। नालों को साफ करवाने के लिए भी मात्र कारगुजारी ही की गई। जिसका परिणाम हुआ कि सरकंडों से भरी खडडें व गाद से भरे नाले जगह-जगह से टूट गए ओर बरसाती पानी दुकानों व घरों में जा घुसा। ऊना शहर में सैकड़ों स्थानों पर जलभराव देखने को मिला है।
पार्षद पुष्पा देवी व विनोद कुमार ने कहा कि हालांकि पार्षदों व स्थानीय लोगों ने कई बार नगर निगम के अधिकारियों से नाले व खडडों को साफ करवाने का आग्रह किया, लेकिन अधिकारियों ने समय रहते इस और कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकाल में सतपाल सत्ती के प्रयासों से बने नालों से पिछले लंबे समय से कोई जलभराव नहीं हुआ था, लेकिन काफी समय बाद प्रशासन की लापरवाही से ऐसा मंजर देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि समय पर कार्रवाई होती तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। नालों के जाम होने से बारिश का पानी सडक़ों व घरों में घुस गया। लोगों को घरों से पानी निकालने और आवागमन में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने सरकार व प्रशासन से मांग की है कि जलभराव से जूझ रहे दुकानदारों व अन्य लोगों को नुकसान का जायजा लिया जाए तथा जो जायज मुआवजा लोगों का बनता हे उन्हें शीघ्र अति शीघ्र दिया जाए क्योंकि इस नुकसान का मुख्य कारण शासन और प्रशासन की लापरवाही हे अगर प्रशासन समय रहता जाग जाता तो इसी स्थिती नहीं होती प्रशासन के लोग मात्र अपने आकाओं को खुश करने में लगे हुए हैं इन्हें आम जनता के दुख दर्द से कोई लेना देना नहीं है ,पार्षदों ने कहा कि जगह जगह रस्ते बंद हैं लोग बहुत परेशान हैं लेकिन नगर निगम का कोई भी बड़ा अधिकारी इस आपातकाल के समय में फोन का कोई उत्तर नहीं दे रहे हैं और न ही जनता को राहत प्रदान करवाने के लिए रास्तों को खुलवाने के लिए कोई प्रयास के रहे हैं ।
पार्षदों ने कहा कि कहां गए स्मार्ट सिटी बनाने के दावे
पार्षदों ने कहा कि प्रशासनिक सुस्ती और योजना की कमी के कारण इस बार ऊना शहर पानी से डूब गया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के दावे कहां गए, जब एक सामान्य बारिश में ही पूरा तंत्र ठप पड़ जाए।
व्यापारियों का लाखों का नुकसान हुआ है
उन्होंने कहा कि इस बारिश से व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। दुकानों में पानी घुसने से लाखों रुपये का माल खराब हो गया। लेकिन प्रशासन इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों से पानी निकालने में भी असमर्थ रहा।