श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन कथा का महत्व समझाया गया
बाबा बाल जी ने व्यास पूजन कर किया श्री मदभागवत कथा का शुभारंभ
ऊना/ सुशील पंडित: बाबा बाल जी आश्रम कोटला कलां में श्री मद्भागवत कथा का शुभारंभ बाबा बाल जी महाराज के व्यास पूजन के साथ शुरू हुआ। वृंदावन से पधारे कथा व्यास
शशि शेखर महाराज ने पहले दिन श्रीमद् भागवत कथा का महत्व बताते हुए कहा कि मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है, जिस प्रकार परीक्षित ने श्रीमद् भागवत कथा सुनकर अभय को प्राप्त किया। वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। श्रीमद्भागवत कथा परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परम हंसों की संहिता है, भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है
श्रीमद् भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उत्पन्न करती है। यह ग्रंथ वेद, उपनिषद का सार रूपी फल है। यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा भगवान की प्राप्ति कराने वाली है। यह कथा मृत्यु के भय को दूर करके भगवान की और आगे बढ़ाती है और भक्ति के साथ-साथ हमारे ज्ञान वैराग्य को बल देती है। श्रीमद्भागवत की कथा सात दिन का एक ऐसा आयोजन है। जिसमें सात सौपान है जिनके माध्यम से एक.एक करके हम प्रत्येक सोपान पर बढ़ते जाते हैं। अंत में अपने जीवन का लक्ष्य जान जाते हैं श्रीमद्भागवत में भक्तों की ऐसी दिव्य कथाएं हैं जिनको सुनकर हृदय में भक्ति का उदय होता है और साथ ही साथ मनुष्य के जीवन में सुधार होता है। वह मनुष्य अपना जीवन तभी पूर्ण कर सकता है जब वह भगवान की भक्ति करेगा।