फरीदकोटः भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर सब्जी काश्तकार परेशान हो गए। दरअसल, महंगे दामों पर जमीन किराए पर लेकर टमाटर की खेती करने वाले किसानों की फसलें जम्मू-कश्मीर से व्यापारी न आने के कारण खेतों में ही खराब होने लग गई। किसानों का कहना है कि पंजाब की मंडियों में उचित दाम नहीं मिल रहा। फसल से हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें कई अन्य फसलों का इंतजार करना पड़ता है। प्रकाश सिंह और गुरदास सिंह ने अपने पास जमीन न होने के बावजूद पट्टे पर जमीन लेकर वैकल्पिक कृषि के तौर पर सब्जियों की खेती शुरू की। उनकी पहली फसल गोभी थी, जिसका बाजार मूल्य बेहद कम होने के कारण उसे जमीन में बोना पड़ा और किसानों को इसके लिए हजारों रुपए अपनी जेब से चुकाने पड़े।
फिर उन्होंने धैर्य रखा कि अगली फसल में टमाटर बोएंगे। उन्होंने कड़ी मेहनत की और टमाटर बोने के बाद पहले कुछ दिनों में अच्छे भाव भी मिले। लेकिन जब फसल पूरी तरह पक कर तैयार हो गई तो पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव पैदा हो गया। जिसके चलते जम्मू-कश्मीर से आने वाले व्यापारियों ने पंजाब की मंडियों से अपना रुख बदल लिया। वहीं पंजाब में कोई ऐसी सब्जी मंडी नहीं थी जहां किसानों को उनकी सब्जियों का अच्छा दाम मिल सके। इन गरीब उद्यमी किसानों की टमाटर की फसल खेतों में ही पक कर खराब होने लगी। किसान अभी युद्ध जैसी परिस्थितियों से उबर भी नहीं पाए थे कि बेमौसम बारिश ने उनकी बची हुई टमाटर की फसल भी नष्ट कर दी। अब ये किसान बेबस हैं और अपनी किस्मत को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
बातचीत के दौरान घुगियाना गांव के किसान प्रकाश सिंह और गुरदास सिंह ने बताया कि वे हर साल पट्टे पर जमीन लेकर सब्जियों की खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि यह साल उनके लिए बहुत बुरा रहा। सबसे पहले तो उन्हें अपनी गोभी की फसल का सही दाम नहीं मिला, जिसके कारण उन्हें गोभी की फसल को जमीन ही जोतना पड़ा। फिर, उन्होंने टमाटर लगाए, लेकिन इस साल युद्ध जैसे हालात के कारण जम्मू-कश्मीर के व्यापारी जो अच्छे दामों पर उनसे टमाटर खरीदते थे, उन्होंने टमाटर खरीदना बंद कर दिया है। चार-पांच दिन तक टमाटर न तोड़े जाने से वे खराब हो गए। अब जो बचे थे उन पर बेमौसम बारिश के कारण प्रभाव पड़ा जिससे टमाटर खराब हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि टमाटर एक ऐसी फसल है कि अगर पके हुए टमाटरों को दो दिन के भीतर तोड़कर मंडी में नहीं पहुंचाया जाए तो वे खराब होने लगते हैं। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें अधिक धूप मिले तो भी वे खराब हो जाते हैं और यदि उन्हें पर्याप्त धूप न मिले तो भी वे खराब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में एक भी फैक्ट्री ऐसी नहीं है जो उनका टमाटर खरीदे। उन्होंने बताया कि उन्हें टमाटर बेचने के लिए पंजाब से बाहर फैक्ट्रियों में जाना पड़ता है, लेकिन वहां भी खर्चा अधिक आता है, जिसके कारण कुछ बचता नहीं है और इस वर्ष उनकी फसल का नुकसान इतना अधिक हो गया है कि उनके लिए जमीन का ठेका भी चुकाना मुश्किल हो गया है। उन्होंने मांग की कि सरकार उन्हें कुछ वित्तीय सहायता प्रदान करे ताकि उनके नुकसान की भरपाई की जा सके।