चंडीगढ़ः पंजाब में बिजली की समस्या को लेकर आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मिली जानकारी के अनुसार पावरकॉम को इस महीने की सब्सिडी ना मिलने के चलते पावरकॉम की स्थिति बिगड़ सकती है। बताया जा रहा है कि पावरकॉम को इस महीने की 1900 करोड़ की सब्सिडी नहीं मिली है। कहा जा रहा हैकि राज्य के वित्त विभाग ने भी इस महीने से सब्सिडी देने से हाथ खड़े कर दिए हैं। ऐसे में सबसे बड़ी दिक्कत की बात यह है कि पावरकॉम की कर्ज लेने की सीमा भी खत्म हो चुकी है।
ऐसे में प्राइवेट सेक्टर से खरीदी जाने वाली बिजली प्रभावित होने की स्थिति हो गई है। अगर पावरकॉम ऐसा नहीं करता है तो लंबे लंबे कट लगाना निश्चित है। गौर है कि हर साल 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की सब्सिडी राज्य सरकार निशुल्क बिजली देने के एवज में देती है। इसमें से 2400 करोड़ रुपये राज्य सरकार को बिजली पर लगने वाली इलेक्ट्रिसटी ड्यूटी के रूप में वापस आ जाते हैं या फिर सब्सिडी की राशि से कट जाते हैं। शेष राशि वित्त विभाग की ओर से हर महीने एडवांस में अदा करता है, जैसा कि बिजली रेगुलेटरी कमीशन का आदेश है।
पावरकॉम के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि हमें हर चीज की अदायगी एडवांस में करनी होती है, तभी हमें कोयला मिलेगा, काेयले को पंजाब तक लाने के लिए रेलवे रैक मिलेंगे या फिर लिए हुए कर्ज की किश्तें हों वह भी अदायगी एडवांस में होती है जबकि इसके विपरीत उपभोक्ताओं से बिजली के बिल हमें दो महीने बाद मिलते हैं। पावरकॉम को हर महीने 3400 करोड़ रुपये की जरूरत होती है, जिसमें वेतन, कर्ज की किश्तें व ब्याज, कोयले व प्राइवेट सेक्टर से बिजली की खरीद और रेलवे के वैगन की पेमेंट शामिल है।
चूंकि किसानों को उनकी खेती के लिए हर साल निशुल्क बिजली है, जो प्रति माह लगभग 900 करोड़ रुपये की है। उसके अलावा लगभग इतनी ही घरेलू सेक्टर, उद्योग सेक्टर आदि को दी जा रही बिजली पर खर्च करना पड़ता है। यह अदायगी सरकार करती है, लेकिन यह राशि न आने के कारण प्राइवेट सेक्टर से न केवल बिजली खरीदना मुश्किल हो जाएगा बल्कि अपने थर्मल प्लांटों के लिए कोयला भी नहीं मिल पाएगा।
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