मोहालीः पंजाबी संगीत सम्राट चरणजीत आज पंचतत्व में विलीन हो गए। इस दौरान तीनों बेटों ने पार्थिव शरीर पर फूल बरसाए। चरणजीत आहुजा का अंतिम संस्कार आज मॉरली के बलौंगी में बने शमशान घाट में किया गया। उनके अंतिम यात्रा में सैंकड़ों प्रशंसकों ने भाग लिया। उन्हें बड़े बेटे सचिन ने मुखाग्नि दी। इस बीच एक बेटा पार्थिव शरीर को निहारता रहा। उनके अंतिम संस्कार के मौके पर पंजाबी फिल्मों के प्रसिद्ध कलाकार, अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशकों के अलावा पंजाबी के प्रसिद्ध गायक और गीतकारों के साथ-साथ बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक भी मौजूद।
वहीं चरणजीत आहुजा के दर्शन करने पंजाबी सिंगर जसबीर जस्सी, गिप्पी ग्रेवाल, हंसराज हंस, सतिंदर बुग्गा, सुक्खी बराड़, अलाप सिकंदर और मदन शौंकी सहित कई गायक पहुंचे। बता दें कि चरणजीत आहुजा के बेटे सचिन आहूजा पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं और उनका खुद का स्टूडियो भी है। चरणजीत आहूजा को पंजाबी संगीत का शिल्पकार कहा जाता था। उनकी बनाई धुनें आज भी लोकगीतों, शादी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गूंजती हैं। उनकी धुनों ने 1980 और 1990 के दशक में पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री को नई पहचान दिलाई।
सुरजीत बिंदराखिया, कुलदीप माणक, गुरदास मान, चमकीला, गुरकिरपाल सूरापुरी, सतविंदर बुग्गा समेत कई लोकगायकों को आहूजा की धुनों से नाम मिला। कुछ गायकों की तो शुरुआत ही इनके संगीत के साथ हुई, जिनमें से कुछ सुपरस्टार भी बन गए। चरणजीत सिंह आहूजा और उनका परिवार पहले दिल्ली में रहता था, लेकिन कोरोना महामारी से पहले वह मोहाली शिफ्ट हो गए।
इसके बाद उन्होंने मोहाली में अपना स्टूडियो बनाया। उनका घर टीडीआई सिटी में है। वह अकसर स्टूडियो आते थे, लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने ऑफिस आना बंद कर दिया। ज्यादातर समय वह अपने घर पर ही बिताने लगे। कोरोना काल में जब लोग घरों से नहीं निकलते थे, उस समय वह खुद अपने स्टूडियो में आते थे। साथ ही वह लोगों को समाज सेवा के लिए प्रेरित करते थे। उनके बेटे सचिन आहूजा भी सेवा करने के लिए जाते थे।