नई दिल्लीः अकाली दल के सुप्रीमों सुखबीर बादल को बड़ी सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने दोहरे संविदान के मामले में होशियारपुर कोर्ट में चल रहे केस को रद्द कर दिया है। बलवंत सिंह खेड़ा ने होशियारपुर कोर्ट में मुकद्दमा दायर करके अकाली दल की मान्यता रद्द करने की मांग की थी। इस दौरान उसने कहा था कि अकाली दल धार्मिक चुनाव लड़ता है। इसलिए उसके द्वारा चुनाव आयोग को दी गई संविधान की कॉपी फर्जी है। शिरोमणि अकाली दल के दोहरे संविधान विवाद में पंजाब के होशियारपुर कोर्ट ने अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और अन्य को उनके खिलाफ दायर जालसाजी और धोखाधड़ी के एक कथित मामले में तलब करने को कहा था, प्रीम कोर्ट ने मुकदमे को रद्द करने के आदेश दिए है।
दरअसल, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल और उनके पिता ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें होशियारपुर की अदालत की कार्यवाही को चुनौती दी गई है। अकाली दल के दोहरे गठन पर फैसला सुनाते हुए, न्यायमूर्ति एमआर शाह की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, “कोई सबूत नहीं मिला है, आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी गई, यह स्पष्ट रूप से कानून के दुरुपयोग का मामला, हमले सभी पक्षों को देखते हुए आदेश को रद्द कर दिया।”
सुप्रीम कोर्ट में अकाली दल के प्रमुथ और उनके अन्य सहयोगियों द्वारा होशियारपुर कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत के जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने 11 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस मामले में जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोपों का कोई आधार नहीं है।