अमृतसरः लोकसभा चुनावों में डिब्रूगढ़ जेल मे बंद अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब से आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ा। इस दौरान वह भारी बहुमत से जीत हासिल की। ऐसे में कहा जा रहा है कि अमृतपाल सिंह शपथ ग्रहण करने के लिए जेल से बाहर आ सकता है। हालांकि अमृतपाल सिंह मार्च 2023 से NSA के तहत असम के डिब्रूगढ़ में जेल में हैं। NSA एक ऐसा कानून है जो सरकार को औपचारिक आरोपों के बिना 12 महीने तक व्यक्तियों को हिरासत में रखने की अनुमति देता है। लेकिन अमृतपाल सिंह को अब एक साल से भी अधिक हो चुका है। अमृतपाल को संविधानिक तौर पर सांसद बनने के लिए सबसे पहले शपथ लेना जरूरी है। चुनावी जीत का मतलब है कि जेल में रहने के बावजूद अब अमृतपाल के पास सांसद के रूप में संवैधानिक जनादेश है। जेल में बंद चुने गए सांसद के शपथ लेने को लेकर संविधान में कोई अलग से फैसला नहीं लिया गया। लेकिन, पुराने उदाहरणों पर नजर दौएं तो कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने जेल में बंद होने पर शपथ लेने के लिए अस्थायी पैरोल ली।
वहीं ऐसे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट संदीप गोरसी ने बताया कि शपथ लेने की अनुमति देना जमानत पर रिहा होने के समान नहीं है। यह एक दिन की विशेष पैरोल के समान है। संसद में हर कदम पर जेल में बंद सांसद को अलग-अलग जगहों से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं, अगर वे संसद से अनुपस्थित रहना चाहते हैं तो उसके लिए भी स्पीकर को लिखना होगा। यह बहुत जरूरी है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 101(4) में कहा गया है कि यदि कोई सांसद बिना अनुमति के सभी बैठकों से 60 दिनों से अधिक समय तक अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा। संसद सत्र में भाग लेने या संसद में वोट डालने के लिए सांसद को अनुमति के लिए अदालत का रुख करना होगा। वहीं, अगर इस कार्यकाल के दौरान किसी भी मामले में उसे दो साल या उससे अधिक की सजा हो जाती है तो उसे अयोग्य करार कर दिया जाएगा। एडवोकेट गोरसी का कहना है कि अब जब वे भारी बहुमत से सांसद बने हैं तो सभी को लोगों के मैंडेट का स्वागत करना चाहिए।
सरकार चुनावों के परिणाम देखते हुए अगर NSA हटा देती है तो भी अमृतपाल सिंह को अदालतों के फेर में फंसे रहना पड़ेगा। अमृतपाल सिंह पर अजनाला थाने पर अवैध हथियारों के साथ हमला करने सहित 12 मामले विभिन्न थानों में दर्ज है। इतना ही नहीं, एक मामला उस पर असम के थाने में भी दर्ज है। जिसमें उससे पुलिस ने सर्च के दौरान डिब्रूगढ़ जेल से इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बरामद किए थे। बता दें कि इसी साल मार्च में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, जो उस समय मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में तिहाड़ में कैद थे, को एक अदालत ने दूसरे कार्यकाल के लिए राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ लेने की अनुमति दी थी। ट्रायल कोर्ट ने जेल सुपरिंटेंडेंट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उसे पर्याप्त सुरक्षा के साथ संसद तक ले जाया जाए और वापस जेल में लाया जाए। 2021 में, असम के सिबसागर से जीतने के बाद एक NIA अदालत ने अखिल गोगोई को असम विधान सभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए अस्थायी रूप से जेल छोड़ने की अनुमति दी थी। दूसरी ओर एक मामले में जेल से सबसे प्रसिद्ध चुनावी जीत 1977 में हुई थी। आपातकाल के दौरान जेल में रहते हुए ट्रेड यूनियनवादी जॉर्ज फर्नांडीस मुजफ्फरपुर सीट से चुने गए थे। शपथ समारोह से पहले उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था।