लुधियानाः लोकसभा चुनावों में अकाली दल के एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा। वहीं इस चुनावों में अकाली दल के गिरते ग्राफ के चलते अब पार्टी में बगावती सुर शुरू हो गए है। बताया जा रहा है कि अकाली दल के नेता मनप्रीत अय्याली ने पार्टी से किनारा कर लिया है। दरअसल, अय्याली ने झुंदा कमेटी की रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से दूर रहने का फैसला किया है। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा- ”श्रीमणि अकाली दल पंथ है और पंजाब का अग्रणी संगठन है, जिसका बहुत प्रतिष्ठित इतिहास है, लेकिन पिछले कुछ समय से पार्टी नेताओं द्वारा लिए गए फैसलों के कारण बड़े स्तर पर अकाली दल में वैचारिक पतन हो गया है।
जिसके कारण 2017 के विधानसभा चुनाव से लेकर मौजूदा लोकसभा चुनाव तक ज्यादातर सीटों पर प्रत्याशियों को जमानत जब्त होने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा। दाखा हलके के विधायक मनप्रीत सिंह अय्याली ने कहा है कि राज्य में 10 साल तक लगातार शासन करने के बाद भी पार्टी लोगों की भावनाओं के खिलाफ गलत फैसले लेती रही और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी पार्टी द्वारा भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गलत फैसले लिए गए। प्रत्याशी, जिसका मेरे द्वारा किसानों एवं सिख समुदाय की भावनाओं के अनुरूप चुनाव का बहिष्कार कर पुरजोर विरोध किया गया।
विधायक अय्याली ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के दो मजबूत पक्ष पंथ और किसान रहे हैं और जब केंद्र के तीन कानूनों के खिलाफ किसानों का संघर्ष शुरू हुआ, तब भी पार्टी किसानों के मुद्दे पर सही समय पर फैसला नहीं ले सकी। उन्होंने कहा कि झुंडन समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने के विरोध में पिछले दो वर्षों से पार्टी गतिविधियों से दूर थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के वफादार सिपाही के तौर पर उन्होंने अकाली उम्मीदवार को जिताने के लिए खूब मेहनत की, लेकिन नतीजा सबके सामने था। विधायक अय्याली ने कहा कि पंजाब में हमेशा से ही सांप्रदायिकता प्रबल रही है और पार्टी इस समय पंजाब में चल रही सांप्रदायिकता को पहचानने में विफल रही है, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है।
अय्याली ने कहा कि पार्टी में इस गिरावट पर मंथन करने के लिए 2022 में झुंदा कमेटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को लागू नहीं करने को लेकर उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से कई बार मुलाकात की और रिपोर्ट को लागू करने की मांग की,कि वे अपने निजी हितों को त्याग कर पार्टी की भलाई के लिए काम करे। उन्होंने कहा कि वह हमेशा पार्टी के वफादार सिपाही रहे हैं, लेकिन झुंदां कमेटी की रिपोर्ट लागू होने तक पार्टी गतिविधियों से दूर रहेंगे। अय्याली ने कहा कि आज पार्टी को किसानों, पंथ और पंजाबियों का विश्वास हासिल करने के लिए बड़े फैसले लेने की जरूरत है, ताकि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत किया जा सके।