नई दिल्लीः पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर सासंद में प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाने साधे। प्रियंका गांधी ने कहा है कि देश की अस्मिता पर आक्रमण है और हमारी खुफिया एजेंसियों की बहुत बड़ी विफलता का परिणाम है। प्रियंका ने कहा कि इस चूक के लिए जिम्मेदार लोगों का इस्तीफा होना चाहिए था। प्रियंका ने इस घटना के लिए देश की खुफिया एजेंसियां, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और देश के गृहमंत्री जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उन्हें नैतिक आधार पर हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए था, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस्तीफा तो दूर, गृहमंत्री अमित शाह इस घटना की जिम्मेदारी लेने को भी तैयार नहीं हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी हमला किया और उनका नाम लिए बिना कहा कि देश के प्रमुख को सिर्फ सफलता का श्रेय नहीं लेने को उत्साहित नहीं चाहिए। देश में जो घटनाएं होती हैं उनकी जिम्मेदारी भी उनकी होती है और इसकी जिम्मेदारी लेने का उनमें साहस भी होना चाहिए। उनका कहना था कि पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने की बात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प करते हैं और यह हमारे लिए अत्यंत चिंता का विषय है। सरकार को बताना चाहिए कि सैन्य कार्रवाई क्यों रुकी। इसका जवाब सरकार को देना चाहिए लेकिन सरकार इस बारे में चुप्पी साधे हुए है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि आपरेशन सिंदूर को सफलता नहीं कहा जा सकता है।
यदि आपरेशन सिंदूर का लक्ष्य आतंकवाद को खत्म करना था तो यह आपरेशन सफल नहीं है क्योंकि जो पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता है उस पाकिस्तान को इसी बीच संयुक्त राष्ट्र में अहम जिम्मेदारी मिलती है तो क्या इस लक्ष्य का यही जवाब है। देशवासियों के प्रति जवाबदेही होनी चाहिए लेकिन सच यह है कि सरकार के लिए जनता की समस्या से ज्यादा खुद का प्रचार, पीआर महत्वपूर्ण है। वाड्रा ने कहा कि सरकार जम्मू -कश्मीर में आतंकवाद खत्म करने के दावे करती है, लेकिन वहां निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। हंसते खेलते परिवार उजड़ रहे हैं। उनका कहना था “ 22 अप्रैल को पहलगाम का मौसम सुहावना था और इसी की वजह से वहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे।
लोग पूरे परिवार के साथ सुहावने मौसम का आनंद ले रहे थे लेकिन तभी अचानक चार आतंकवादी जंगल से आते हैं और वहां मौजूद पर्यटकों में से चुन चुन कर 26 लोगों को मार देते हैं। लोगों में अफरा तफरी मच गई और बचे खुचे लोग जंगल की तरफ भागने का प्रयास करते हैं। आतंकवादियों ने एक घंटे तक कोहराम मचाया और वहां गये पर्यटकों को चुन चुन कर मारा। वहां भारतीय नागरिकों की चुन चुन कर हत्या की जा रही थी और एक घंटे तक यह कोहराम मचा रहा लेकिन इस पूरे एक घंटे में एक भी सुरक्षाकर्मी वहां नहीं दिखा। सवाल है कि वहां सुरक्षा क्यों नहीं थी। क्या सरकार को मालूम नहीं था कि वहां इतनी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं तो उनके लिए सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए। वहां लोग सरकार से सुरक्षा के भरोसे गये थे लेकिन सरकार ने उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया।”
उन्होंने सवाल किया कि वहां लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी क्या प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी की नहीं है। आज से करीब दो सप्ताह पहले गृहमंत्री वहां जाते हैं और सुरक्षा का जायजा लेते हैं। चलते चलते उप राज्यपाल भी कहते हैं कि यह सुरक्षा में चूक है और वह इसकी जिम्मेदारी लेते हैँ। उन्होंने कहा कि एक आतंकवाद गुट इस हमले की जिम्मेदारी लेता है। यह गुट 2019 में बना और 2025 तक उसने 25 आतंकवादी हमले किये हैं। पूरे पांच साल में इस गुट ने 25 हमले किये हैं। इसमें रियासी का 2024 का हमला भी था जिसमें नौ लोग मारे गये थे। आखिर सरकार इस आतंकवादी गुट के पर कतरने में विफल क्यों रही। वाड्रा ने कहा कि इस सदन में जितने लोग हैं सबके पास सुरक्षा है लेकिन उस दिन पहलगाम में 26 परिवारों के साथ जो हुआ, जितने लोग मारे गये उनमें 25 भारतीय थे, जो मारे गये उनके लिए कोई सुरक्षा क्यों नहीं थी। पर्यटक वहां बिना सुरक्षा के घूम रहे थे, यह सच है लेकिन अब इस सच्चाई के पीछे सरकार छिप नहीं सकती।