नई दिल्ली: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एशिया प्रशांत सहयोग शिखर सम्मेलन(APEC) में शामिल होने के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होने सदस्य देशों के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ाने का आह्वान किया। इसके साथ ही यह भी चेतावनी दी है कि वे अमेरिका के उस प्रयास का हिस्सा न बने जो दुनिया को चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में ले जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने एक दिन पहले ही दक्षिण कोरिया छोड़ दिया था जिसके बाद शी जिनपिंग इस सम्मेलन में एकमात्र वैश्विक महाशक्ति नेता बन गए थे। इस सम्मेलन की शुरुआत उन्होंने मुस्कुराते हुए जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मेजबान दक्षिण कोरिया के नेताओं और मंत्रियों से हाथ मिलाते हुए की।
औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को करना चाहिए मजबूत
अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने कहा कि एशिया को एक-दूसरे से हाथ मिलाने की नीति पर टिके रहना चाहिए न कि सप्लाई चेन तोड़ने की सोच पर। उन्होंने पश्चिमी देशों के द्वारा फैक्ट्रियों को चीन से बाहर ले जाने की कोशिशों पर भी कड़ी टिप्पणी की। उनका कहना है कि हमें औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत बनाना चाहिए न कि उन्हें तोड़ना चाहिए।
संयुक्त राज्य अमेरिका पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि APEC देशों को सरंक्षणवाद और एकतरफा नीतियों का पूरा विरोध करना चाहिए। दुनिया को जंगल के कानून की और लौटने से भी बचाना चाहिए।
दुनिया की 90% सप्लाई पर चीन का दबदबा
चीन की हाल की नीतियों में जिनपिंग की अपील कुछ कमजोर हो गई है। अक्टूबर में बीजिंग ने रेयर अर्थ मिनरल्स पर नए निर्यात नियंत्रण भी प्रस्तावित किए थे। इससे बाकी देशों पर उसे असाधारण नियंत्रण मिल जाता। ये खनिज आधुनिक तकनीकों जैसे कि सेमीकंडक्टर, बैटरी और जेट विमान के निर्माण में जरुरी भूमिका निभाते हैं। दुनिया की करीबन 90% सप्लाई पर चीन का दबदबा है। ट्रंप से मुलाकात के बाद अब चीन ने नियंत्रणों को अस्थायी रुप से रोकने पर भी सहमति जताई है। यह बैठक दोनों नेताओं के बीच एक तरह की कूटनीतिक युद्धविराम में बदली है और ट्रंप ने शी की स्थिरता की भी इस दौरान सरहाना की है।
जापान की पीएम से मिले शी जिनपिंग
शुक्रवार को शी जिनपिंग की मुलाकात जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाईची के साथ भी हुई। यह चीन की मुखर आलोचक मानी जाती है। ताकाइची ने शी के साथ मुलाकात में रेयर अर्थ निर्यात नियंत्रण, पूर्वी चीन सागर में विवाद और जासूसी आरोपों में गिरफ्तार में लिए गए जापानी नागरिकों को भी मुद्दे उठाए हैं। उनका कहना है कि जापान को दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्य विस्तार, हांगकांग और शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भी गंभीर चिंता जताई है। जापान की प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे बीच में मतभेद जरुर हैं लेकिन इन्हीं मुद्दों पर खुलकर और सीधे बात करना भी बहुत जरुरी है।