नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा 5000 सरकारी स्कूलों के मर्जर के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है। यह याचिका तैय्यब खान सलमानी की ओर से दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रदीप यादव ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मेंशन कर जल्द सुनवाई की मांग की। जिसपर कोर्ट ने सुनवाई का भरोसा दिया। दायर याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका को खारिज करते हुए मर्जर को हरी झंडी दे दिया है।
सीतापुर के 51 बच्चों ने सरकार की स्कूल मर्ज नीति के खिलाफ दायर की है। हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि सरकार के नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। कोर्ट ने कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में है। ऐसे मामलों में नीतिगत फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती, जब तक कि वह असंवैधानिक या दुर्भाग्यपूर्ण न हो। दायर याचिका में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कम छात्र संख्या वाले प्राइमरी स्कूलों को उच्च प्राथमिकी या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने की बात कही गई थी।
दायर याचिका में इसे शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन बताते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि प्रदेश में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इस फैसले से पूरे राज्य में करीब 5000 से ज्यादा स्कूल प्रभावित होंगे। सरकार के इस फैसले के बाद शिक्षक संगठनों ने भी इसका विरोध शुरू कर दिया है। वहीं सरकार की दलील है कि मर्ज करने से बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी और संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा। यदि किसी स्कूल के रास्ते में नाला, नदी या रेल पटरी जैसी बाधाएं हैं, तो उसे भी मर्ज किए जाएगा।