देहरादून: भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी सौरभ वशिष्ठ भी कतर की जेल से रिहा होकर वतन लौटने बाद देररात अपने घर पहुंचे तो माहौल इमोशनल हो गया। उन्हें देखकर पत्नी को यकीन नहीं हुआ और बेहोश हो गई। वहीं बच्चे 18 महीनों बाद पिता को सामने देखकर चिल्लाने लगे। बुजुर्ग मां-बाप भी बेटे को आंखों के सामने देखकर खुशी के मारे रोने लगे, क्योंकि परिवार को पता नहीं था कि उनका बेटा कतर से लौट आया है, लेकिन अचानक उसे आंखों के सामने सही सलामत देखकर वे आंसू नहीं रोक पाए। मां ने बेटे का तिलक करके उसे गले लगाकर दुलार किया, सीने से लगाया।
होमटाउन देहरादून में अपने घर में कदम रखते ही सौरभ वशिष्ठ भावुक हो गए। उन्होंने न्यूज एजेंसी से कहा कि घर लौटने की खुशी और भावनाओं को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। पिछले 18 महीनों से हम आठों भारतीय नौसैनिक वतन लौटने की आस में जी रहे थे। मैं हमें अपने परिवारों के पास वापस पहुंचाने के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के प्रति अनंत खुशी और अनंत आभार व्यक्त करना चाहता हूं। यह दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं था। यह उनकी व्यक्तिगत भागीदारी और बातचीत का परिणाम है कि मैं आज दिन का उजाला देख पाया हूं। अपने मां-बाप, पत्नी और बच्चों को देख पाया हूं।
सौरभ वशिष्ठ ने कहा कि मैं परिवार के पास लौटा हूं, इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास को जाता है। जब मैं यहां पहुंचा तो पहला फोन मैंने अपनी पत्नी को किया, कोई बातचीत नहीं हो रही थी, केवल भावनाएं बह रही थीं। जब मैंने अपने माता-पिता को वीडियो कॉल किया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। ऐसा लग रहा था कि कुछ असंभव संभव हो गया है। पिता आरके वशिष्ठ की आंखें छलक गईं। मां फूट-फूट कर रोने लगी।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर को धन्यवाद दिया कि वे उनके बेटे को सुरक्षित वापस ले आए। सौरभ वशिष्ठ के पिता आरके वशिष्ठ ने ANI से बात करते हुए कहा कि विदेश मंत्री जयशंकर ने हमें बहुत आश्वासन दिया। जब भी हम उनसे मिलते थे, वह हमें आश्वासन देते थे और कहते थे कि हमारी मुख्य प्राथमिकता आठों भारतीय नौसेना के जवानों को कतर से घर वापस लाना है। उन्होंने हमें उन पर भरोसा करने के लिए कहा। हम मंत्री जयशंकर के प्रयासों को कभी नहीं भूलेंगे। हम हमेशा उनके आभारी रहेंगे। वह उन सभी को सुरक्षित वापस ले आए।