चंडीगढ़ः पर्यावरण मंजूरी के उल्लंघन और भवन उल्लंघन पर फेज-1 स्थित 2 कमर्शियल इमारतों पर प्रशासन के संपदा विभाग ने बडड़ी कार्रवाई की है। दरअसल, प्रशासन ने 2 बड़ी इमारतों का ऑक्यूपेशन (कब्जा) प्रमाण पत्र खारिज कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस 2 बड़ी मशहूर इमारतों का नाम गोदरेज एटर्निया और बर्कले स्क्वायर है। मिली जानकारी के अनुसार दोनों इमारतों को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिसके बाद अब उपायुक्त एवं संपदा अधिकारी विनय प्रताप सिंह ने शुक्रवार को दोनों काम्प्लेक्स के ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट रद्द करते हुए यह कार्रवाई की है। बताया जा रहा हैकि गोदरेज इमारत के सह मालिक में नगर निगम के पूर्व मेयर अनूप गुप्ता का भी नाम है।
अतिक्रमण हटाओ दस्ते को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि व्यवसाय प्रमाण पत्र रद्द करने के बाद इमारत को रहने योग्य उपयोग में नहीं लाया जाएगा। अनुपालन रिपोर्ट के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है। पीड़ित व्यवसाय मालिकों ने आरोप लगाया कि यूटी प्रशासन भेद भाव की नीति अपना रहा है क्योंकि 19 और वाणिज्यिक परिसर थे जिनके पास पर्यावरण मंजूरी प्राप्त करने के दिन वाइलड लाइफ मंजूरी नहीं थी। उपायुक्त के आदेश के अनुसार बिल्डिंग वायलेशन और पर्यावरण उल्लंघन के कारण व्यवसाय प्रमाण पत्र और भवन योजना रद्द कर दी गई है। मालूम हो कि इन दोनो इमारत की कीमत एक हजार करोड़ रुपये हैं।
पर्यावरण मंजूरी की उल्लंघन शर्तों का अनुपालन न करना राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) द्वारा देखा गया है, जिसमें कहा गया है कि दोनों प्रतिष्ठानों ने वन्यजीव मंजूरी के मुद्दे को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था। 18 जुलाई को हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट (एससी) द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने पंजाब और चंडीगढ़ को वन्यजीव मंजूरी के बिना संचालन के लिए 6 मेगा प्रोजेक्ट्स मोहाली में चार और चंडीगढ़ में 2 के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया। यह प्रोजेक्ट्स सुखना वाइल्ड लाइफ सेंचरी के 10 किमी के दायरे में आते हैं।
बता दें कि पिछले साल अगस्त माह में यूटी प्रशासन ने पर्यावरण मानदंडों के कथित उल्लंघन के लिए बर्कले स्क्वायर और गोदरेज इटर्निया प्रोजेक्ट को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यूटी ने बर्कले स्क्वायर कॉम्प्लेक्स को 25 दिनों के लिए सील भी कर दिया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा 36 घंटों के भीतर इमारत को राहत मिलने के बाद डीसील कर दिया गया था। इसके साथ ही बिजली-पानी के कनेक्शन जो काटे गए थे उसे भी बहाल करने के आदेश दिए गए थे। यूटी प्रशासन के अनुसार इन इमारतों के पास वाइल्डलाइफ क्लीयरेंस नहीं थी, इसलिए इमारतों पर कार्रवाई की गई।