जालंधर, ENS: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) के छात्र को हॉन्गकॉन्ग की एक कंपनी में 1.16 करोड़ रुपए सालाना के पैकेज पर सॉफ्टवेयर डेवलपर की नौकरी मिली है। छात्र की पहचान एकमजोत के रूप में हुई है, हालांकि वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद का रहने वाला हैं। NIT जालंधर में एकमनजोत को 100% स्कॉलरशिप पर केमिकल इंजीनियरिंग में दाखिला मिला। जिसे बाद एकमजोत ने कंप्यूटर साइंस में भी पढ़ाई जारी रखी और माइनर डिग्री के तौर पर 3 साल तक इस विषय को पढ़ा। इससे पहले उन्होंने गुरुग्राम और नोएडा की कंपनियों में कंप्यूटर साइंस से जुड़ी इंटर्नशिप भी की, जिससे उन्हें नौकरी पाने में काफी मदद मिली।
खास बात यह है कि एकमजोत केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन नौकरी उन्हें कंप्यूटर साइंस की स्किल्स की वजह से मिली है। एकमजोत का कहना है कि वे शुरू से ही कंप्यूटर साइंस में ही पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन JEE में कम परसेंटाइल आने की वजह से उन्हें इसमें एडमिशन नहीं मिला। इतने बड़े पैकेज पर नौकरी पाने वाले एकमजोत, NIT जालंधर के पहले छात्र हैं। उनकी इस सफलता के पीछे कैसी तैयारी थी। एकमजोत ने बताया कि उसका जन्म गाजियाबाद के मोदी नगर में हुआ और माता-पिता का इंस्टीट्यूट है, दोनों कंप्यूटर सिखाते हैं।
मेरी प्राइमरी एजुकेशन गाजियाबाद के मोदीनगर में हुई। मैंने नॉन मेडिकल से छाया पब्लिक स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद मेरा मन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में जाने का हुआ तो उसके लिए तैयारी शुरू कर दी। एकमजोत ने बताया- 12वीं पास करने के बाद घर पर रहकर ही JEE की तैयारी शुरू की। इसके लिए न तो मैं किसी महंगे कोचिंग सेंटर गया और न ही किसी बड़े नाम वाले ट्यूटर के पास। मैंने घर पर रहकर ही 6 घंटे यूट्यूब पर रोजाना तैयारी शुरू की। जेईई का पेपर क्लियर करने के लिए यूट्यूब पर वीडियो देखे।
एकमजोत बताते हैं, मैंने सोचा था कि मुझे 99 परसेंटाइल मिल जाएं तो सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में आसानी से किसी बड़े कॉलेज में दाखिला मिल जाएगा। 6 महीने तैयारी की, मगर ऐसा नहीं हो पाया। जेईई का रिजल्ट आया तो मुझे 96.2 परसेंटाइल मिले और मैं कंप्यूटर साइंस में नहीं जा पाया। इसके बाद केमिकल इंजीनियरिंग में दाखिला मिला।एकमजोत ने बताया कि उसने केमिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई के साथ कंप्यूटर साइंस का सपना नहीं छोड़ा। क्लास के बाद वह हॉस्टल में आकर यूट्यूब से ही कंप्यूटर साइंस की तैयारी करने लगा।
बड़ी बहन भी सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं, इसलिए उसने भी गाइड किया। केमिकल इंजीनियरिंग को एक साल पूरा होने पर ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर कंप्यूटर साइंस की माइनर डिग्री शुरू कर दी। कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई शुरू करने के बाद उसने यूरोप में जॉब के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया। इसके बाद उसे इंटरव्यू के लिए हॉन्गकॉन्ग की फ्लो ट्रेडर्स नाम की एक कंपनी का कॉल आ गया। उसने इंटरव्यू के लिए हां कह दी और इसके बाद उसके ऑनलाइन इंटरव्यू हुए जिसमें वह सिलेक्ट हो गया।