जालंधर, ENS: महानगर में 80 मरले से अधिक मोहन पैलेस की जगह को लेकर विवाद खड़ा हो गया। जहां एनआरआई ज्ञान सिंह ओहती ने 48 मरले जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाए है। जहां एनआरआई ने कहा कि उसने 1974 में 42 मरले का प्लाट खरीदा और वह 1976 में इंग्लैंड चला गया था। लेकिन अब वह 2025 में भारत लौटा तो उसे पता चला कि उसकी जमीन पर किसी ने कब्जा किया हुआ है। एनआरआई ने कहा कि उसने यह ज़मीन भाई गुरदयाल सिंह और मां के साथ मिलकर 1976 में प्लॉट नंबर 172A सिविल लाइन्स जालंधर में खरीदी थी। प्लॉट पर एक कमरे का सेट था, बस हेल्पर को वहां रहने दिया गया था, लेकिन अब उसका भी नहीं पता कि वह कहां चला गया है। उसके बाद वह अपने अच्छे भविष्य के लिए इंग्लैंड चला गया।
वहीं लगभग 1976 से इंग्लैंड में रह रहा है। वहां उसके 3 बच्चे है, जिसमें एक लड़का और दो बेटियां है। सभी विदेश नागरिक हैं। वह पारिवारिक विवाह और अन्य अवसरों के लिए कभी कभार भारत आता था। जालंधर में उसकी कई और संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपये है, जिन पर पहले से ही गुंडों और अन्य राजनीतिक प्रभावित लोगों ने अवैध रूप से कब्ज़ा कर रखा है। एनआरआई ने कहा कि बताया गया कि उसकी एक ज़मीन पर किसी राजनीतिक परिवार ने कब्जा कर लिया है। इसके बाद उसने एनआरआई आयोग की मदद से एनआरआई पुलिस में शिकायत की। एनआरआई आयोग की मदद से आज दूसरी बार सीमांकन हो रहा है। इससे पहले सीमांकन की कोशिश की गई थी, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण इसमें देरी हुई थी, अब फिर से वह सीमांकन के लिए यहां आए हैं।
एनआरआई ने कहा कि जमीन के कब्जे को लेकर उनके द्वारा कोई कोर्ट केस दायर किया गया। जिसके बाद कोर्ट ने ऑर्डर किया और बताया कि यह जगह उनकी है। एनआरआई ने कहा कि इस मामले को लेकर 2 साल तक जांच करने के बाद कोर्ट के जरिए अपने प्लाट का पता चला कि उस पर पैलेस बना हुआ है। परिवार की 48 मरला भूमि में से 6 मरला भूमि इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट जालंधर द्वारा अधिग्रहित की गई है। वह अपनी प्रॉपर्टी में आकर रहने की कर रहे है, लेकिन वहां पर उन्हें रहने की इजाजत नहीं है।
दूसरी ओर अकाली नेता इकबाल सिंह ढींडसा का कहना है कि यह इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की कालोनी है। इस पर कोई कब्जा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि एनआरआई को कोई गलत गाइड कर रहा है। उसके पास जमीन के सारे दस्तावेज मौजूद है। उन्होंने कहा कि 100 से अधिक प्लाट है। वहीं इस घटना के बाद बलजीत सिंह कानूनगो मौके पर पहुंचे और सारी जमीन की निशानदेही कर रहे है।
वहीं एनआरआई ने कहा कि देरी से चल रही अदालती प्रक्रिया के कारण एनआरआई की संपत्ति पर अवैध रूप से प्रवेश करने वालों के खिलाफ कोई गंभीर एक्शन नहीं लिया जाता। सरकार से अपील की है कि सीमांकन के बाद कानून में संशोधन करें। क्योंकि बहुत से एनआरआई इस समस्या से पीड़ित हैं। क्योंकि वह नए गोद लिए गए देशों में रह रहे हैं और ऐसी घटनाओं के लिए खर्च नहीं कर सकते हैं। अदालती प्रक्रिया बहुत लंबी है और बहुत से एनआरआई डर के कारण अपनी संपत्ति छोड़ देते हैं।