मेसर्ज मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज
जालंधर, ENS: जालंधर ईडी की टीम अब शराब कंपनी मालब्रोस के खिलाफ प्रदूषण फैलाने की जांच करेगी। मिली जानकारी के अनुसार जालंधर के पीएमएलए स्पेशल कोर्ट में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज की गई है। ये शिकायत मेसर्ज मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, गौतम मल्होत्रा और अन्य के खिलाफ दर्ज की गई है। ईडी टीम की तरफ से जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि मालब्रोस के खिलाफ ये जांच पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करने के खिलाफ की जा रही है। पत्र में कहा है कि अब तक की जांच में पता चला है कि कंपनी ने अपनी एक इकाई जिला फिरोजपुर के जीरा ब्लॉक के गांव मंसूरवाला में लगाई। यहां पर रिवर्स बोरिंग के जरिए गंदा पानी जमीन के अंदर छोड़ा गया। ये सारा काम बहुत ही गुपचुप तरीके से किया जा रहा था। न केवल जमीन के अंदर के पानी को प्रदूषित किया गया, इसके साथ ही किसानों की जमीन में प्रदूषित पानी छोड़ा गया।
साथ में एक चीनी मिल के पास भी कंपनी से निकाल प्रदूषित पानी छोड़ा गया। अपनी इंडस्ट्री के जरिए कंपनी ने आस-पास के पानी के स्रोतों को भी प्रदूषित किया। इस दौरान कंपनी ने अपने आपरेशन से 80 करोड़ रुपए कमाए। बता दें कि इससे पहले भी 16 जुलाई 2024 को ईडी की टीम की ओर से इस मामले में कंपनी के 6 ठिकानों पर रेड की गई थी। इस दौरान तलाशी में मालब्रोस इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों के ठिकानों से 78.15 लाख रुपए नकद जब्त किए गए थे। यह कार्रवाई भी पीएमएलए की धारा 17 के तहत की गई थी। ईडी की टीम ने साफ किया है कि इस मामले में आगे की जांच जारी है।
पंजाब के फिरोजपुर जिले के जीरा शराब बनाने वाली मालब्रोस कंपनी के खिलाफ पंजाब सरकार NGT में हलफनामा पेश किया था। पंजाब सरकार ने पहली बार माना कि जीरा डिस्टलरी के कारण प्रदूषण हो रहा है और प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री को स्थायी तौर पर बंद करना एक मात्र रास्ता है। जीरा संझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी (PAC) के मेंबर ने NGT में दिए हलफनामे को संघर्ष की जीत बताया था। उन्होंने कहा कि 3 साल से इस सरकार के हलफनामे में कई अहम और तीखे बयान दर्ज हैं, जो अब तक स्थानीय संगठनों जैसे जीरा संझा मोर्चा और पब्लिक एक्शन कमेटी (PAC) द्वारा उठाए गए मुद्दों की पुष्टि करते हैं। इस यूनिट के खिलाफ काफी समय से आंदोलन चला रहे थे।
सरकार अब तक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं कर रही थी। सरकार का एफिडेविट दाखिल होने के बाद स्पष्ट हो गया कि अब फैक्ट्री को स्थायी तौर पर बंद कर दिया जाएगा। डॉ. अमनदीप बैंस, कपिल अरोड़ा व कुलदीप खैहरा ने कहा कि यह एक नैतिक जीत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मान लिया है कि फैक्ट्री की वजह से लोगों की जान को खतरा था। इसलिए अब तक जो पर्यावरणीय नुकसान हुआ है उसके चार्जेस कंपनी से वसूले जाने चाहिए।