विज्ञापन विभाग का मंथली टारगेट 2 करोड़ और इंकम 1 लाख तक सिमटी
शर्मनाक – सैलरी के लिए दूसरे विभागों पर डिपैंड है विज्ञापन शाखा के कर्मचारी, जिम्मेदार कौन..?
जालंधर (ENS): पंजाब सरकार द्वारा शहरों में अवैध विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए 2018 में बनाई गई विज्ञापन पालिसी का टैंडर चाहे इस बार फिर फेल हो गया मगर इस टैंडर के फेल होने के दौरान जालन्धर के ट्रैवल एजैंट एक बार फिर मालामाल हो गए हैं।

बस स्टैंड से पिम्स अस्पताल की ओऱ ट्रैवल एजैंटों की एक नई पॉकेट तैयार हुई है जहां शिफ्ट हुए 100 से ज्यादा ट्रैवल एजैंटों ने अपने कारोबार का मायाजाल फैलाने के लिए यूनिपोल से भी बड़े साईज के अवैध विज्ञापन लगाए हैं जिन्हे नगर निगम की विज्ञापन शाखा रोकने में बुरी तरह से फेल साबित हो रही है। विभाग का कहना है कि उन्हे जब शिकायत मिलती है तो वह पार्टी को निगम एक्ट 1976 की धारा 123 के तहत नोटिस जारी करते हैं जिसका ज्वाब एक सप्ताह में देना जरुरी होता है मगर हकीकत यह है कि नगर निगम का यही लचर सिस्टम निगम का खजाना लूटने में ट्रैवल एजैंटों को खूब रास आ रहा है।

इस नोटिस के बाद कोई भी अपने संस्थान के बाहर लगा अवैध विज्ञापन नहीं हटाता और न ही निगम के नोटिस का ज्वाब ही देता है कारण है कि इस नोटिस के बाद भी निगम प्रशासन अपने स्तर पर न तो उक्त अवैध विज्ञापनों को हटा पाता है और न ही भारी भरकम जुर्माना लगाकर निगम का खजाना भरने की जहमत करता है।

इस विभाग में काम कर चुके कई पुराने कर्मचारियों का कहना है कि यह सिस्टम पिछले कई सालों से इसी तरह से ही चल रहा है और ऐसे ही चलेगा। मिली जानकारी अनुसार विज्ञापन शाखा का शहर में लगे अवैध विज्ञापनों सहित अन्य रिकवरी महीने की सिर्फ एक लाख रुपये तक ही सिमट चुकी है जबकि इस विभाग का सालाना टारगेट 25 करोड़ रुपये है अगर हालात इसी तरह से चलते रहे तो इस विभाग यह विभाग निगम के सालाना बजट से पूरी तरह से गायब हो जाएगा।
इस विभाग की जिम्मेदार ज्वाईंट कमिशनर मनदीप कौर के पास है उनका इस सबंधी पक्ष जानने के लिए फोन किया गया मगर उन्होने रिसीव नहीं किया।
