चंडीगढ़: खालिस्तान के कट्टर समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू के मामले में भारत को बड़ा झटका लगा है। भारत ने अलगाववादी संगठनों के जरिए देश के खिलाफ साजिश को लेकर पन्नू पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की थी, जिसे इंटरपोल ने ठुकरा दिया है। भारत की कोशिश है कि जिन तमाम संगठनों को भारत सरकार ने बैन किया है, उनके कट्टर नेताओं को हिरासत में लिया जाए। लेकिन इंटरपोल के इस कदम से सुरक्षा एजेंसियों को करारा झटका लगा है। इतना ही नहीं भारत ने जिस UAPA के तहत पन्नू के खिलाफ नोटिस जारी करने की मांग की थी, इंटरपोल ने उस पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुरपतवंत सिंह पन्नू अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस का फाउंडर और इसका लीगल एजवाइजर है। भारत सरकार की ओर से यह लगातार दूसरी कोशिश थी जब कि पन्नू के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की मांग की गई थी। लेकिन इंटरपोल की तरफ से यह कहकर इसे खारिज कर दिया कि भारतीय एजेंसियां पन्नू के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दे पा रही हैं।
इंटरपोल ने पन्नू के बारे में रखा मत
इंटरपोल का कहना है कि हम इस बात से कतई गुरेज नहीं करते कि गुरपतवंत सिंह पन्नू राजनीतिक गतिविधियों में शामिल है। हम इस बात को मानते हैं कि पन्नू और उसका संगठन सिख फॉर जस्टिस अलगाववाद से जुड़े हैं। लेकिन इतने भर से ही हम रेड कॉर्नर नोटिस नहीं जारी कर सकते हैं। इसके लिए हमें और भी पर्याप्त सबूत चाहिए होंगे। यह बात रखते हुए इंटरपोल ने बाकायदा अपने संविधान का हवाला भी दिया।
रेड कॉर्नर नोटिस के लिए क्या जरूरी होना चाहिए
इंटरपोल ने कहा कि हमारे संविधान के मुताबिक अगर कोई भी आरोपी आतंकी गतिविधि में शामिल होता है तभी हम उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। हमारे लिए यह जरूरी है कि अगर गुरपतवंत सिंह पन्नू को रेड कॉर्नर नोटिस जारी करें तो उसके लिए पर्याप्त सबूत हों। इंटरपोल के मुताबिक भारत का नेशनल सेंट्रल ब्यूरो पन्नू के खिलाफ कोई ऐसे पर्याप्त सबूत नहीं दे पाया कि जिससे उसके ऊपर आरोप साबित हो सके। इसलिए हम रेड कॉर्नर नोटिस की मांग को खारिज करते हैं।
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