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Punjab-Haryana जल विवाद को लेकर हाईकोर्ट का आया बड़ा फैसला

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब के बीच वाटर वार को लेकर बीबीएमबी की तरफ से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका सुनवाई हुई। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड और लोहंड कंट्रोल रूम वाटर रेगुलेशन कार्यालयों के दैनिक कार्य में पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की रोकथाम या दखलअंदाजी पर प्रतिबंध लगाते हुए स्पष्ट किया है कि पंजाब पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन बीबीएमबी की कार्यप्रणाली या जल कार्यों में दखल नहीं दे सकती। पंजाब सरकार तथा उसके किसी भी अधिकारी या पुलिस कर्मी को बीबीएमबी और लोहंड कंट्रोल रूम की दैनिक कार्यप्रणाली, संचालन और नियमन में दखल देने से रोका गया है। बीबीएमबी के कार्य में बाधा डालने वाली पुलिस तैनाती मंजूर नहीं की जाएगी। यदि पंजाब को किसी भी प्रकार की शिकायत है, तो वह केंद्र सरकार के सामने अपना पक्ष रख सकती है, न कि बीबीएमबी की कार्यप्रणाली में बाधा डाल सकती है।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने याचिका दाखिल करते हुए नंगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों में तैनात पंजाब पुलिस बलों को हटाने की मांग की थी। बोर्ड ने बताया कि 1 मई की सुबह पंजाब सरकार ने अपने पुलिस बल के माध्यम से नंगल बांध और लोहंद नियंत्रण कक्ष जल विनियमन कार्यालयों के संचालन और विनियमन का नियंत्रण जबरन अपने हाथ में ले लिया और हरियाणा को पानी छोड़ने से जबरन रोका। 30 अप्रैल को हुई बैठक में बोर्ड ने हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला किया था, जिस पर पंजाब ने आपत्ति जताई थी।

पंजाब सरकार ने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है और खतरे की आशंका और बलों की तैनाती पर फैसला करना राज्य का विशेषाधिकार है। पंजाब सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार दलील दे रही है कि वेस्टर्न यमुना कनाल में रिपेयर के चलते पानी की किल्लत है, लेकिन कनाल की रिपेयर का काम तो 1 मई को पूरा हो चुका है।
बीबीएमबी की ओर से दलील दी गई कि जहां तक सुरक्षा का सवाल है, हमारे पास अपना सुरक्षा निदेशक हैं। बीबीएमबी ने न्यायालय को बताया कि विवाद से पहले केवल 15 सुरक्षाकर्मी थे और अब भारत-पाक मुद्दे की आड़ में यह संख्या बढ़कर 55 कर दी गई है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी सत्य पाल जैन ने कहा कि बीबीएमबी द्वारा पानी का प्रवाह केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि राजस्थान और दिल्ली को भी जाता है। अगर किसी राज्य को हरियाणा को पानी छोड़ने के लिए बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव से कोई समस्या है, तो उसे उचित कानूनी तरीकों से चुनौती दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि कोर्ट पंजाब सरकार को पुलिस बल हटाने का निर्देश दे सकता है।

हरियाणा सरकार ने तर्क दिया कि पंजाब पानी के वितरण का पूरी ताकत से विरोध कर रहा है। बांध की सुरक्षा की आड़ में वे ऐसा किया जा रहा है। 8500 क्यूसेक की मांग सिर्फ हरियाणा के लिए नहीं बल्कि दिल्ली और राजस्थान के लिए भी है। दिल्ली को 1,049 और 850 राजस्थान को जाएगा। हाईकोर्ट ने कहा कि हमने देखा है कि संवेदनशील स्थानों पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाती है।

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