चंडीगढ़ः दिल्ली-अमृतसर नेशनल हाईवे पर शाहबाद में किसानों द्वारा रोड जाम करने को लेकर मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया। इसके खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने अफसरशाही की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए। हाई कोर्ट ने कहा कि क्या अधिकारियों ने पिछले साल की घटना से कोई सबक नहीं लिया। जब आंदोलनकारियों ने एसडीएम कार्यालय के पास धरना दिया तो उस समय कार्रवाई क्यों नहीं की गई। आंदोलनकारियों को नेशनल हाईवे पर क्यों जाने दिया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि अधिकारी इस घटना को कंट्रोल करने में असफल रहे। लगता है कि वह घटना के बारे में जागरूक नहीं थे।
सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में आरोपी आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इस पर कोर्ट ने सवाल पूछा कि गिरफ्तार कितने लोगों को किया गया है, यह जानकारी दें। बहस के दौरान मुख्य सचिव संजीव कौशल की तरफ से कोर्ट में घटना पर एक स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपी गई। मुख्य सचिव की ओर से कोर्ट को बताया गया कि हाल के वर्षों में राज्य पर अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने के लिए राजमार्ग, रेलवे को अवरुद्ध करने का चलन बन गया है। सरकार पर दबाव बनाने के लिए यह सबसे सुविधाजनक तरीका माना जाने लगा। संविधान ने लोगों को कुछ अधिकार दिए हैं, लेकिन सार्वजनिक हित के लिए ऐसे अधिकारों के कुछ प्रतिबंध भी हैं। कोर्ट को बताया गया कि हरियाणा राज्य को पहले भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा है, जहां किसान प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए घंटों-घंटों तक सड़क जाम करने के मामले सामने आए हैं।
कौशल ने यह भी बताया कि कुरुक्षेत्र प्रशासन ने पिछले अनुभव को देखते हुए अप्रिय घटना को रोकने के लिए व्यापक व्यवस्था की थी। रिपोर्ट के अनुसार किसान संघ द्वारा प्रस्तावित आंदोलन के बारे में सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट प्राप्त होने पर जिला प्रशासन कुरुक्षेत्र द्वारा 22 सितंबर को बीकेयू के साथ एक बैठक आयोजित की गई, ताकि उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग पर नाकेबंदी के लिए अपने आह्वान को छोड़ने के लिए राजी किया जा सके। उन्हें देर से खरीद के संबंध में परिस्थितियों के बारे में बताया गया। हालांकि, वे सरकार द्वारा धान की तत्काल खरीद के लिए अपने रुख पर अड़े रहे। उन्हें शाहाबाद में नेशनल हाईवे को अवरुद्ध करने की बजाय शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए एक स्थान की पेशकश की गई थी।
हाई कोर्ट को बताया गया कि राजमार्गों को अवरुद्ध करने के लिए बीकेयू के प्रस्ताव के बाद ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए थे व निषेधाज्ञा जारी की गई थी। महत्वपूर्ण स्थानों पर क्षेत्र को बैरिकेडिंग के अलावा जिला पुलिस की पांच कंपनियों को तैनात किया गया था। मुख्य सचिव ने कहा कि 24 सितंबर को सुबह तीन बजे बीकेयू ने नाकाबंदी हटाने पर सहमति व्यक्त की और 24 सितंबर की सुबह 10 बजे यातायात सामान्य हुआ। भविष्य में राज्य के किसी भी हिस्से में ऐसी कोई नाकाबंदी को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी को हाई कोर्ट के नोटिस सर्व कर दिए गए हैं, लेकिन गुरनाम सिंह चढ़ूनी की तरफ से सुनवाई के दौरान कोई पेश नहीं हुआ। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 12 दिसंबर तक स्थगित करते हुए सभी पक्षों को जवाब दायर करने का निर्देश दिया।
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