उत्तराखंड: कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत विवादों में घिर गए। दरअसल, एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन पर सिखों का अपमान करने का आरोप लगा है। जिसको लेकर उनकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत नारा लगा रहे है, इस दौरान वह सिख व्यक्ति को कह रहे है कि सरदार जी हाथ उठाकर नारा लगाओ, 12 बज गए सरदार जी। हालांकि उसके बाद वह माफी मांगते हुए भी दिखाई दे रहे है और कह रहे है कि वह मजाक में कह रहे है।
कांग्रेस के पूर्व मंत्री की इस वीडियो को लेकर भाजपा ने तंज कसना शुरू कर दिया है। और कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा के नेशनल स्पोक्स पर्सन आरपी सिंह ने तंज कसते हुए लिखा कि परंपरा और आस्था का मज़ाक उड़ाना कांग्रेस की आदत बन गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता बयान उसी सोच का ताज़ा उदाहरण है, एक ऐसी मानसिकता, जो सिख समुदाय की वीरता, उनके अदम्य संघर्ष और शहादत की महान परंपरा को ठेस पहुंचाती है। हरक सिंह जैसे कांग्रेसी नेताओं को इतिहास की समझ ही नहीं है। उन्होंने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों का गहरा घाव आज भी देश नहीं भूला। ऐसे उपहासपूर्ण बयान उसी काले दौर की याद दिलाते हैं, जब कांग्रेस ने सिख समाज की भावनाओं और अस्तित्व दोनों को गहरी चोट पहुंचाई थी।
दूसरी ओर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत द्वारा सिख समाज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर आज सिखों ने विरोध प्रदर्शन किया। राजधानी दून में घंटाघर चौक पर प्रदर्शन कर पूर्व मंत्री का पुतला दहन किया गया। वकीलों के धरनास्थल पर शुक्रवार को समर्थन देने पहुंचे कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत के बोल बिगड़ गए। उन्होंने सिखों पर कथित तौर पर आपत्तिजनक बात कह दी जिसके बाद धरनास्थल पर विरोध हो गया। हरक को माफी मांगकर धरनास्थल छोड़ना पड़ा।
इसके बाद शाम को फिर जिला अदालत में बार एसोसिएशन के कार्यालय में पहुंचे और वकीलों के सामने अपना पक्ष रखा। अनजाने में भावनाएं आहत होने पर क्षमा भी मांगी। वकीलों की हड़ताल के 26वें दिन हरक सिंह रावत हरिद्वार रोड स्थित धरनास्थल पर पहुंचे थे। वह वकीलों की मांगों पर समर्थन जता रहे थे तभी एक सिख वकील कुछ कहने के लिए खड़े हुए तो हरक ने उन्हें बैठने के लिए कुछ ऐसी बात कह दी जिस पर हंगामा हो गया।
वकीलों ने उनके लहजे पर आपत्ति जता दी और सिख समुदाय का अपमान बताया। ऐसे में हरक ने कहा कि उनकी बात का गलत मतलब न निकालें लेकिन वकीलों का विरोध जारी रहा। हंगामा होने की वजह से उन्हें माफी मांगकर जाना पड़ा। शाम को वह बार कार्यालय पहुंचे और कहा कि जिस सिख वकील को उन्होंने बैठने के लिए कहा था, उनसे उनके निजी रिश्ते हैं। उनकी जिस टिप्पणी पर विरोध हुआ, उसके पीछे उनकी भावना किसी का मजाक उड़ाने या आहत करने की नहीं थी। उन्होंने सिखों की बहादुरी के इतिहास को ध्यान में रखते हुए वह बात कही थी, जिसका गलत मतलब निकाल लिया गया। फिर भी यदि किसी की भावना आहत हुई तो वह क्षमा मांगते हैं।