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विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहुंचे चीन, क्या सही हो सकते हैं भारत-चीन के रिश्ते?

करीबन पांच साल के बाद भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन की यात्रा पर निकले हैं। उनकी यात्रा ने भारत-चीन रिश्तों के बीच में जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश की है। शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने वाले बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने न सिर्फ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की बल्कि उनकी एक तस्वीर भी शेयर की है। तस्वीर शेयर कर उन्होंने उन सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया है। इसमें दावा किया जा रहा था कि शी जिनपिंग सत्ता संघर्ष या बीमारी के चलते अंडरग्राउंड हैं। बीते कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर ये सवाल घूम रहे थे कि क्या सच में शी जिनपिंग लापता हैं? क्या उनको नजरबंद कर दिया गया है? ऐसे में अब जयशंकर की हाई प्रोफाइल ने यह साफ कर दिया है कि चीन का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से एक्टिव है और अफवाहों का हकीकत से कोई भी लेना देना नहीं होता है।

एक्स (ट्विटर) पर शेयर की जयशंकर ने तस्वीर

जयशंकर ने एक्स पर जिनपिंग के साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि – आज सुबह बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ मुलाकात हुई। राष्ट्रपति को भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में हाल की प्रगति से अवगत भी करवाया गया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी सौंपा गया। यह मुलाकात इस बात का पुख्ता सबूत बन चुकी है कि शी जिनपिंग कहीं पर लापता नहीं हुए हैं।

ऐसे शुरु हुई थी अफवाहें

शी जिनपिंग के लापता होने की बातें उस समय उभरी जब मई के आखिरी हफ्ते से लेकर जून के पहले हफ्ते तक वे करीब 15 दिन तक सार्वजनिक मंचों से गायब रहे। उसके बाद जुलाई की शुरुआत में ब्राजील में हुए BRICS सम्मेलन में भी उनकी गैरमौजूदगी ने कयासों को और भी बल दिया। कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया है कि चीनी सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अंंदर सत्ता संघर्ष चल रहा है। किसी ने दावा किया है कि शी बीमार है या फिर नजरबंद हैं। मगर इन अफवाहों की कोई पुष्टि नहीं हुई है। अब जयशंकर की मुलाकात ने इन पर पूरी तरह से विराम लगा दिया है।

उपराष्ट्रपति से भी की मुलाकात

बीजिंग में एससीओ बैठक से इतर जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग और विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की है। हान झेंग ने कहा कि भारत और चीन जैसे दो बड़े विकासशील देशों के बीच साथ जरुरी है और दोनों का टैंगो एशिया और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद रहेगा। जयशंकर ने भी दो टूक कहा है कि यदि चीन भारत की कोर चिंताओं का सम्मान करेगा तो आपसी लाभ के रास्ते खुलेंगे।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

चीनी सरकार अखबार ग्लोबल टाइम्स ने जयशंकर की यात्रा को पीएम मोदी और शी जिनपिंग की अक्टूबर 2024 में कजान में हुई बैठक के बाद द्विपक्षीय रिश्तों में दूसरा बड़ा कदम बताया है। अखबार ने माना है कि गलवान संघर्ष के बाद कूटनीतिक संवाद न्यूनतम रह गया था। ऐसे में यह दौरा भरोसे की वापसी का संकेत है हालांकि सीमा विवाद अब भी सबसे बड़ा और संवेदनशील मसला है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दोनों देशों को थिंक टैंक, संवाद सीमा पर भरोसे का ढांचा और लोगों के बीच संपर्क मजबूत करना पड़ेगा।

विश्व व्यवस्था भी होगी मजबूत

भारत और चीन SCO और BRICS जैसे मंचों पर पहले से ही मिलकर काम कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि दोनों देश सामूहिक रणनीति बनाएंगे तो यह न सिर्फ ग्लोबल साउथ बल्कि बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को भी मजबूती देगा। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अब गेंद दोनों देशों के पाले में है। वे सहयोग को प्राथमिकता देते हैं या फिर प्रतिस्पर्धा को लेकिन जयशंकर की इस यात्रा से यह साफ हो चुका है कि एशिया ही नहीं पूरी दुनिया भारत-चीन के रिश्तों के सामान्य होने की उम्मीद रख रही है।

 

 

 

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