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शिक्षा मंत्री का हुआ निधन, CM ने जताया दुख, राजनीतिक गलियारें में शोक की लहर

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जमशेदपुर: झारखंड के 62 वर्षीय शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का दिल्ली में निधन हो गया। मिली जानकारी की अनुसार 15 अगस्त की रात दिल्ली के निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके निधन से पूरे राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर छा गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रामदास सोरेन के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “रामदास दा का जाना झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। अंतिम जोहार दादा।” स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने कहा, “रामदास सोरेन लोकप्रिय शिक्षा मंत्री और आदिवासी समाज की मजबूत आवाज थे।

उनकी कमी को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।” झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल सारंगी ने कहा कि यह उनके लाखों चाहनेवालों के लिए एक व्यक्तिगत और अपूरणीय क्षति है। झामुमो ने कहा कि रामदास सोरेन का संघर्ष, समर्पण और सेवा भाव सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा से विधायक थे। उन्होंने 2024 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को हराया था। रामदास सोरेन ने ग्राम प्रधान से राज्य के मंत्री तक का सफर तय किया। रामदास सोरेन का पैतृक गांव मूल रूप से घाटशिला के खरस्ती रहा।

लेकिन इनके दादा रोजगार के सिलसिले में घोड़ाबांधा चले गए थे। जहां टाटा टेल्को में इनके दादा कर्मचारी थे। इसके बाद पूरा परिवार घोड़ाबांधा में बस गया। रामदास सोरेन के पिता वर्षों तक घोड़ाबांधा के ग्राम प्रघान रहे। पिता के निधन के बाद परंपरा अनुसार रामदास सोरेन को प्रधान चुना गया था। ग्राम प्रधान के रूप में परंपरा संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण को लेकर रामदास सोरेन काफी सक्रिय थे। जल जंगल और जमीन के नारे को हमेशा बुलंद किया करते थे। झामुमो में वो जमशेदुपर ब्लाक कमेटी में एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में जुड़े थे। इसके बाद वे जिला कमेटी के सदस्य बने। फिर जिला सचिव और 1990 में जिलाध्यक्ष बने थे।

घाटशिला से विधायक रहते हुए भी वो काफी दिनों तक संगठन के जिलाध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके थे। रामदास सोरेन ने घाटशिला विधानसभा सीट पर 2024 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन को करारी शिकस्त दी थी। चंपाई कभी रामदास के काफी अच्छे मित्र थे। लेकिन चंपाई के झामुमो छोड़कर भाजपा में जाने के बाद घाटशिला विधानसभा सीट में भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को रामदास सोरेन के खिलाफ उतारा था। ऐसे में अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन को जिताने के लिए चंपाई सोरेन ने पूरी ताकत भी झोंक दी थी। चुनाव परिणाम में रामदास सोरेन को 98356 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के बाबूलाल सोरेन को 75910 वोट मिले। 22446 वोट से बाबूलाल सोरेन की हार हो गई थी। रामदास सोरेन ग्रेजुएट थे। उन्होंने जमशेदपुर के कोपरेटिव कॉलेज से पढ़ाई की थी। उनकी पत्नी का नाम सुरजमनी सोरेन है। उनके पुत्रों के नाम सोमेश चंद्र सोरेन, रोबिन सोरेन और रूपेश सोरेन हैं। उनकी पुत्री रेणुका सोरेन बैंक में कार्यरत हैं।

 

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