नई दिल्लीः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को वैश्विक साइबर ठगी मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दिल्ली और 3 राज्यों में 11 ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी नोएडा (उत्तर प्रदेश), गुरुग्राम (हरियाणा), देहरादून (उत्तराखंड) और दिल्ली में हो रही हैं। यह ठगी 260 करोड़ रुपये की है। ठगों ने खुद को पुलिस या जांच अधिकारी बताकर लोगों को गिरफ्तारी की धमकी देकर पैसे ऐंठे थे। इसके अलावा, उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के टेक सपोर्ट एजेंट बनकर भी लोगों को ठगा है।
उन्होंने जानकारी दी कि इन शहरों के अंदर ठग पुलिस या जांच एजेंसी के अधिकारी बनकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, और उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी देकर उनसे पैसों की वसूली कर रहे हैं। धोखाधड़ी करने वालों ने खुद को माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन की टेकनिकल सहायता टीम के प्रतिनिधि बताकर पीड़ितों को धोखा किया। जांच एजेंसी ने यह खुलासा किया कि पीड़ितों के पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर आरोपियों को ट्रांसफर कर दिया गया था।
आधिकारिक सूत्रों की जानकारी के मुताबिक इस गैंग ने कई भारतीय और विदेशी नागरिकों से करोड़ों रुपये की ठगी की। सूत्रों के अनुसार ये छापेमारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत की जा रही है। यह कार्रवाई दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और देहरादून में फैले कम से कम 11 ठिकानों पर की गई है। फ्रॉड करने वालों ने पीड़ितों की संपत्ति को क्रिप्टोकरेंसी में बदला और फिर इसे कई क्रिप्टो-वॉलेट्स में ट्रांसफर किया।
ईडी के मुताबिक, आरोपियों ने 260 करोड़ रुपये के बिटकॉइन जमा किए, जिन्हें बाद में UAE में कई हवाला ऑपरेटरों और व्यक्तियों के जरिए USDT में बदलकर नकदी में तब्दील किया गया। इससे पहले, 26 जून को CBI ने मुंबई और अहमदाबाद में छापेमारी कर एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी गिरोह के अहम सदस्य को गिरफ्तार किया था। इस शख्स का नाम प्रिंस जशवंतलाल आनंद है। वह आम तौर पर अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को निशाना बनाने वाले रैकेट का मास्टरमाइंड है।