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Technology की दुनिया में Digital Fasting जरूरी, Mental Health को करेगी दुरुस्त

हेल्थः भागदौड़ भरी जिंदगी में हम दिनभर किसी ना किसी स्क्रीन से जुड़े रहते हैं। मोबाइल, लैपटॉप, टीवी या टैबलेट। ऐसे में हमारे दिमाग को सारा दिन रेस्ट नहीं मिलती, लेकिन Digital Fasting के जरिए हम खुद को डिजिटल दुनिया से कुछ देर के लिए दूर रख सकते है।

एक रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल फास्टिंग का मतलब सिर्फ सोशल मीडिया से दूर रहना नहीं, बल्कि मोबाइल, इंटरनेट और सभी स्क्रीन-बेस्ड डिवाइसेज़ से ब्रेक लेना होता है। रिसर्च बताते हैं कि लगातार स्क्रीन एक्सपोजर से नींद की समस्या, एंग्जायटी, स्ट्रेस और फोकस की दिक्कतें बढ़ रही हैं। ऐसे में जब आप कुछ घंटों या कुछ दिनों तक स्क्रीन से दूरी बनाते हैं, तो दिमाग को एक नई एनर्जी मिलती है। डिजिटल फास्टिंग सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि न्यू एज मेंटल हेल्थ सॉल्यूशन बन चुका है।

डिजिटल फास्टिंग का मतलब है कि एक तय समय के लिए मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया से ब्रेक लेना। यह शरीर और दिमाग को रीसेट करने का एक तरीका है। लगातार स्क्रीन देखना, आपको बहुत सी समस्या दे सकता है जैसे- आंखों पर दबाव पड़ता है, दिमाग थक जाता है और मानसिक शांति गायब हो जाती है। डिजिटल फास्टिंग आपको यह मौका देता है कि आप खुद से जुड़ें, परिवार से बात करें, और असल दुनिया को महसूस करें।

आपने महसूस किया होगा कि दिनभर फोन या लैपटॉप पर रहने के बाद भी कुछ अच्छा महसूस नहीं होता। यह मानसिक थकान है, जो अधिक स्क्रीन टाइम से होती है। हमारी आंखें थक जाती हैं, दिमाग भारी हो जाता है और मूड बार-बार बदलता है। मेंटल हेल्थ के लिए चिंता का संकेत हैं मूड स्विंग, डिजिटल फास्टिंग इस थकान को खत्म करता है।

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