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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने निकाला ठेकेदारों का दिवालिया, डेढ़ वर्ष से ठेकेदारों का कोई भुगतान नहीं

राज्य के मुख्यमंत्री सुक्खू बोल रहे झूठ पर झूठ, तीस अप्रैल को भी नहीं हुआ ठेकेदारों के पैसे का भुगतान:दविंदर भुट्टो 

ठेकेदार अब सड़कों पर,लेवर को देने के लिए पैसे नहीं,बैंक से कर्ज लेकर खरीदी मशीनरी को बेचने पर मजबूर

ऊना/सुशील पंडित: कुटलैहड़ भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक दविंदर भुट्टो ने मुख्यमंत्री पर तीखा प्रहार करते हुए आरोप लगाया कि सीएम सुक्खू ने झूठ का रिकॉर्ड बना दिया है। उन्होंने कहा कि 30 अप्रैल को भी ठेकेदारों का बकाया भुगतान नहीं हुआ, जिससे प्रदेश भर के विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया है।

दविंदर भुट्टो ने कहा कि प्रदेश सरकार पर ठेकेदारों की करीब 18000 करोड़ रुपये की देनदारी है, लेकिन अब तक एक भी पैसा जारी नहीं किया गया। इससे न केवल ठेकेदारों की आर्थिक रीढ़ टूट चुकी है, बल्कि उनसे जुड़ी मजदूर और श्रमिक श्रेणियां भी प्रभावित हुई हैं। ठेकेदारों को अब दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ठेकेदारों ने तो बैंक से कर्ज लेकर मशीनरी खरीदी थी, लेकिन अब किश्तें न चुका पाने के कारण उन्हें अपनी मशीनें तक बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। भुट्टो का कहना है कि प्रदेश में कोई नया विकास कार्य शुरू नहीं हुआ है। जो कार्य पहले के वर्षों में शुरू हुए थे, वे भी अधूरे पड़े हैं । जो ठेकेदारों द्वारा कार्य पूर्ण किए हैं। उस का ठेकेदारों को भुगतान नहीं हो रहा। इससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम हुए हैं और बेरोजगारी का संकट गहराता जा रहा है। इससे न केवल ठेकेदार वर्ग, बल्कि लेबर वर्ग, आपूर्तिकर्ता और अन्य सहायक सेवाओं पर निर्भर लोग भी प्रभावित हुए हैं।

भुट्टो ने कहा कि यदि झूठ बोलने की कोई प्रतियोगिता हो और उसे गिनीज बुक में दर्ज किया जाए, तो राज्य के मुख्यमंत्री सुक्खू उसका रिकॉर्ड बना सकते हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों की तुलना करते हुए कहा कि शांता कुमार पानी की व्यवस्था के लिए याद किए जाते हैं, प्रेम कुमार धूमल सड़क निर्माण के लिए, स्व. वीरभद्र सिंह रोजगार के अवसरों के लिए और जयराम ठाकुर जनसेवक के रूप में पहचान रखते हैं। लेकिन सुखविंदर सिंह सुक्खू को केवल वादाखिलाफी और असत्य भाषणों के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य के ठेकेदार संघ के कई प्रतिनिधियों ने भी सरकार से गुहार लगाई थी कि जल्द से जल्द भुगतान किया जाए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें। मजदूरी, मशीनरी किराया, कच्चे माल की आपूर्ति और बैंक लोन की किश्तें अटकने से काम पूरी तरह से ठप हो चुका है। इसके बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब या आश्वासन नहीं आया है।

भुट्टो ने कहा कि प्रदेश इस समय आर्थिक असंतुलन और प्रशासनिक निष्क्रियता के दौर से गुजर रहा है। ठेकेदारों की हालत बद से बदतर हो चुकी है और वे सड़कों पर आने को मजबूर हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि जमीनी सच्चाई को दर्शाते हैं। यदि सरकार समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह संकट न केवल निर्माण उद्योग को प्रभावित करेगा, बल्कि राज्य की पूरी अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा। भुट्टो ने कहा कि राज्य सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति होती है और जब सड़कों पर काम बंद हो जाए, मजदूर भूखे रहने लगें और ठेकेदार दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाएं तो यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि नैतिक विफलता भी कहलाती है।

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