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क्या इस राज्य में फिर हो सकता है उल्टफेर? Political गलियारें में मचा हड़कंप

क्या इस राज्य में फिर हो सकता है उल्टफेर? Political गलियारें में मचा हड़कंप क्या इस राज्य में फिर हो सकता है उल्टफेर? Political गलियारें में मचा हड़कंप

नई दिल्ली: एनसीपी अध्यक्ष अजित पवार ने सोमवार को कहा कि शरद पवार ने पार्टी का खड़ा करने में बड़ी भूमिका निभाई है। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 25 साल पहले सोनिया गांधी की राष्ट्रीयता को लेकर एनसीपी की स्थापना की थी। मैं उनको पार्टी का नेतृत्व करने और शक्तिशाली नेतृत्व के लिए उनका आभारी हूं। उन्होंने कहा कि वे एनडीए के साथ हैं लेकिन उनकी विचारधारा अलग है। ऐसे में अब कयास लगने शुरू हो गए हैं कि क्या अजित पवार एक बार फिर शरद पवार के खेमे में शामिल होना चाहते हैं। उनके बदले हुए रूख को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

अटकलों का बाजार इसलिए भी गर्म है क्योंकि जून 2023 के बाद पहली बार उन्होंने शरद पवार की तारीफ में कुछ कहा है। इससे पहले उन्होंने उनकी तरफदारी वाला कोई बयान नहीं दिया था। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय कैबिनेट में एनसीपी ने कोई पद नहीं लिया। एनसीपी चाहती थी कि उसे कैबिनेट मंत्री का पद मिले जबकि बीजेपी उसे हैसियत के हिसाब से राज्य मंत्री का पद दे रही थी। अजित पवार ने कहा कि प्रफुल्ल पटेल लंबे समय तक केंद्र में मंत्री रहे इसलिए राज्य मंत्री का पद स्वीकार नहीं किया गया।

पवार ने कहा कि हमने भाजपा को सूचित किया है फिलहाल हम इंतजार करेंगे। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त से पहले राज्यसभा में हमारी ताकत बढ़कर 1 से 3 हो जाएगी। बता दें कि भाजपा ने एकनाथ शिंद की अगुवाई वाली शिवसेना को भी 1 राज्य मंत्री का पद ऑफर किया था जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। चुनाव में शिंदे के 7 सांसदों ने जीत दर्ज की थी। जबकि 4 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली अजीत पवार की पार्टी सिर्फ एक ही सीट जीत सकी।

अजीत ने कहा कि हमने एनडीए से हाथ मिलाया है हमारी विचारधारा पूरी तरह उनसे अलग है। हमारी विचार धारा में कोई बदलाव नहीं आया है। हम ज्योतिबा फुले और डा. अंबेडकर के बताए रास्तों पर चलते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष की गलत बयानबाजी के कारण महाराष्ट्र में एनडीए बहुमत से दूर रह गया। बता दें कि शरद पवार एनसीपी के संस्थापक हैं। उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर पार्टी की स्थापना की थी। जुलाई 2023 में नेतृत्व के बाद उपझे हालातों के बीच अजित पवार ने पार्टी तोड़ दी थी। इसके बाद वे शिंदे की अगुवाई वाली NDA सरकार में शामिल हो गए।

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