पुणेः बीजेपी सांसद गिरीश बापट का निधन हो गया है। बीजेपी सांसद गिरीश बापट का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। उनका पिछले कुछ दिनों से पुणे के दीनानाथ अस्पताल में इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने 73 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह 1973 से राजनीति में सक्रिय थे। पुणे में बीजेपी के सफल आंदोलन में उनकी अहम भूमिका रही है। उन्हें पुणे की ताकत गिरीश बापट के नाम से जाना जाता था। उनके निधन से बीजेपी में शोक की लहर है। उन्होंने पुणे और कसबा निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी पार्टी को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत की थी।
बापट का राजनीतिक करियर
जानकारी के अनुसार, उन्होंने 1973 में एक टेल्को कंपनी में कर्मचारी के रूप में काम करते हुए एक ट्रेड यूनियन के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया। 1983 में, उन्हें पुणे नगर निगम में एक नगरसेवक के रूप में चुना गया था। वे लगातार तीन बार पार्षद चुने गए। 1993 में हुए कसबा पेठ विधानसभा उपचुनाव में गिरीश बापट हार गए थे। उसके बाद उन्होंने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने राज्य कैबिनेट में कई विभागों के मंत्री और पुणे के संरक्षक मंत्री के रूप में कार्य किया है। फिर 2019 में उन्हें रिकॉर्ड मतों से पुणे का सांसद चुना गया।
उपचुनाव में सक्रिय भागीदारी
दिवंगत विधायक मुक्ता तिलक के निधन के कारण एक माह पहले उपचुनाव हुआ था। उन्होंने इस चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लिया। शुरुआत में उन्होंने कहा था कि वह अपने स्वास्थ्य के कारण अभियान में सक्रिय नहीं होंगे। लेकिन अपनी पार्टी की वफादारी को बरकरार रखते हुए वे व्हीलचेयर पर बीजेपी की बैठक में पहुंचे। उन्होंने बीमार होने पर भी अपने मतदान के अधिकार का प्रयोग किया। यही समग्रता गिरीश बापट की राजनीति की पहचान थी और उनके 40 साल के सफल राजनीतिक जीवन का राज था।
उनके बीमार होने पर कई नेताओं ने दौरा किया
गिरीश बापट के बीमार होने पर बीजेपी और विपक्ष के नेता भी उनसे मिले थे। उन्होंने उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ अन्य नेताओं ने भी मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
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