नई दिल्ली: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को आज फिर सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने फिर बाबा की माफी अस्वीकार कर दी। उन्हें 23 अप्रैल को फिर कोर्ट में पेश होना पड़ेगा, साथ ही निर्देश दिया गया है कि वे पब्लिकली माफी मांगें। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए उन्हें एक हफ्ते का समय दिया है। बता दें कि आज बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ दर्ज अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई 10 अप्रैल हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव का माफीनामा खारिज कर दिया था। इसी माफीनामे पर आज दोनों पक्ष अपनी दलीलें रखीं। याचिका पर पिछली सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच ने की थी। पतंजलि की ओर से वकील विपिन सांघी और मुकुल रोहतगी पेश हुए। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी सुप्रीम कोर्ट आए थे। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार की ओर से ध्रुव मेहता और वंशजा शुक्ला पेश हुए थे।
गत 10 अप्रैल को हुई सुनवाई में बेंच ने बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। बेंच ने कहा था कि बाबा रामदेव और पतंजलि ने जानबूझकर आदेश की अवहेलना की। इसलिए माफीनामा स्वीकार नहीं है, कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी को भी फटकारा था। केंद्र सरकार से सवाल किया गया था कि आखिर विभाग के ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग ऑफिसर क्या कर रहे हैं? उनकी जिम्मेदारियां क्या है? लापरवाही बरती जा रही है तो क्यों न दोनों अधिकारियों को सस्पेंड कर दें? नियमों और आदेशों को हलके में लिया जा रहा है। बता दें कि बाबा रामदेव ने पहले 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में पेश होकर माफी मांगी थी और फिर 10 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफीनामा पेश किया था।
बाबा रामदेव और पतंजलि पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने भ्रामक विज्ञापन दिखाने और जारी करने के आरोप लगाए हैं। 17 अगस्त 2022 को एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2023 को पतंजलि को निर्देश दिया कि वह किसी भी प्रोडक्ट का भ्रामक विज्ञापन नहीं दे। आदेशों के बावजूद विज्ञापन दिखाए गए तो सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को पतंजलि को फटकार लगाई। कहा गया कि पतंजलि और बाबा रामदेव भ्रामक विज्ञापन दिखाकर लोगों के साथ छलकपट कर रहे हैं। ऐसे कैसे कह सकते हैं कि पतंजलि की दवाइयां बीमारियों को 100 प्रतिशत ठीक कर सकती हैं? क्या इसका कोई ठोस सबूत है? सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई 19 मार्च और 2 अप्रैल को भी की थी।
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