हाथरसः उत्तर प्रदेश में हाथरस हादसे के 7 दिन बाद यूपी सरकार ने पहला बड़ा एक्शन लिया। SDM, CO, इंस्पेक्टर समेत 6 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है। सरकार ने SIT की रिपोर्ट के बाद यह कार्रवाई की। SIT ने सोमवार रात सीएम योगी को 900 पेज की रिपोर्ट सौंपी थी। सरकार ने एसडीएम रविंद्र कुमार, सीओ आनंद कुमार के अलावा इंस्पेक्टर, तहसीलदार सुशील कुमार और चौकी इंचार्ज कचौरा मनवीर सिंह और पारा चौकी इंचार्ज बृजेश पांडे को सस्पेंड कर दिया।
SIT ने रिपोर्ट में कहा कि हादसे में साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसकी गहनता से जांच जरूरी है। हादसा आयोजकों की लापरवाही से हुआ। स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया। वरिष्ठ अफसरों को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। भीड़ के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए, जिसके चलते हादसा हुआ है। आयोजकों ने बिना पुलिस वैरिफिकेशन जिन लोगों को अपने साथ जोड़ा, उनसे अव्यवस्था फैली है। जांच के दौरान 150 अफसरों, कर्मचारी और पीड़ित परिवारों के बयान दर्ज किए।
SIT ने रिपोर्ट में कहा कि SDM, CO, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज ने अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही की। एसडीएम ने बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए कार्यक्रम की अनुमति दी। सीनियर अफसरों को भी जानकारी नहीं दी। घटनास्थल पर बैरिकेडिंग की व्यवस्था भी नहीं थी।
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि भोले बाबा के कार्यक्रम के आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम की अनुमति ली। आयोजकों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया। पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया। हादसे के बाद आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए। सीएम ने हादसे के 24 घंटे में रिपोर्ट तलब की थी। हालांकि, SIT ने जांच पूरी करने में 6 दिन लगा दिए। आगरा जोन की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुपम कुलश्रेष्ठ SIT प्रमुख हैं।
2 जुलाई को हाथरस के सिकंदराराऊ के फुलरई मुगलगढ़ी गांव में हुई भगदड़ में 123 लोगों की मौत हुई है। इनमें 113 महिलाएं और 7 बच्चियां हैं। इस केस की तीन लेवल पर जांच हो रही है। पहली रिपोर्ट SDM ने हादसे के 24 घंटे बाद प्रशासन को सौंपी थी। इसमें हादसे के लिए आयोजकों को जिम्मेदार बताया था। दूसरी रिपोर्ट सोमवार को SIT ने योगी सरकार को सौंपी। इसके अलावा न्यायिक जांच आयोग का भी गठन किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार श्रीवास्तव आयोग के अध्यक्ष हैं। आयोग 2 महीने में जांच पूरी कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा।