बद्दी/सचिन बैंसल: बीबीएन उद्योग संघ ने दूध व पर्यावरण पर लगाए उपकर पर विरोध जताया है। संघ का मानना है कि अब तक के इतिहास में यह एचपीएसईबीएल की सबसे अधिक वृद्धि है।
संघ के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को बिजली अधिशेष राज्य के रूप में जाना जाता था और निवेश को आकर्षित करने के लिए सस्ती बिजली का उपयोग राज्य की यूएसपी के रूप में किया जाता था। पिछले दो साल से देखा जा रहा है क सरकार ने बिजली की सबसिड्डी को वापस ले लिया है और बिजली के शुल्क का बढ़ा दिया है। इसके अलावा बिजली की खपत पर 10 पैसे का उपकर तथा 10 पैसे पर्यावरण उपकर लगाने से उद्योगों पर और बोझ बढ़ गया है। पिछले दो साल में यह बढौतरी करीब 50 फीसदी तक बढ़ गई है। इस बढ़ी हुए शुल्क के साथ उद्योग जगत के लिए राज्य में आगे निवेश करने में एक बड़ी बाधा बन गई है।
संघ के महासचिव वाईएस गुलेरिया ने कहा क बीबीएनआईए इस मुद्दे को विभन्न मंचो पर और राज्य के राजनैतिक नेतृत्व के साथ उठाता रहा। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। बिजली हर उद्योग का बुनियादी इनपुट है। इस्पात, कपड़ा व अन्य बिजली गहन उद्योगों में उत्पादन लगात का 50 फीसदी तक इनपुट है। अधिक बिजली से चलने वाले यह उद्योग 15 लाख लोगों को रोजगार दे रहे है। इसके साथ ही सरकारी खजाने में भी अच्छा योगदान दे रहे है।
उद्योग संघ इस्पताल उद्योग की टैरिफ वृद्धि एवं पयार्वरण उपकर को तुंरत वापस लेने की मांग का समर्थन करते है। सरकार से आग्रह किया है क राज्य में उद्योग के अस्तित्व के लिए बिजली की दरो में भारी बढ़ौतीर को वापल लेना होगा।