अधिकांश लोग हल्के दर्द, अकडऩ, संधिशोथ, घुटनों के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, डिस्क की समस्या, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, गर्दन में दर्द और जमे हुए कंधों से परेशान रहते हैं। कई लोग बाजार में उपलब्ध दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक उपयोग करते हैं, जिससे वे इन पर निर्भर हो जाते हैं। डॉ. मोनिका ने कहा कि छोटे-मोटे दर्द के लिए हमें पेन किलर्स का सहारा नहीं लेना चाहिए। फिजियोथेरेपी से बड़े से बड़े दर्द को भी कुछ ही दिनों में ठीक किया जा सकता है। डॉ. तानिया ने शिविर के दौरान कहा कि लोगों को फिजियोथेरेपी के लाभों के प्रति जागरूक करने के लिए बद्दी यूनिवर्सिटी समय-समय पर क्षेत्र में ऐसे नि:शुल्क शिविरों का आयोजन करती रहेगी, ताकि अधिक से अधिक लोग इस पद्धति को अपनाकर स्वस्थ जीवन शैली का लाभ उठा सकें।
बद्दी यूनिवर्सिटी ने सल्लेवाल में लगाया नि:शुल्क फिजियोथेरेपी शिविर
शिविर में 70 लोगों ने कराई फिजियोथेरेपी
शिविर में घुटनों व पीठ दर्द के आए रोगी
बद्दी/ सचिन बैंसल: बद्दी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस (एसओएमएस) की ओर से नालागढ़ के सल्लेवाल गांव स्थित गुरुद्वारा में एक नि:शुल्क फिजियोथेरेपी शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. मोनिका और डॉ. तानिया ने भाग लिया और 70 से अधिक लोगों की फिजियोथेरेपी जांच की। डॉ. मोनिका ने बताया कि शिविर के दौरान अधिकतर स्थानीय लोग घुटनों की जकडऩ और पीठ दर्द जैसी समस्याओं से पीडि़त पाए गए। उन्होंने कहा कि हम नियमित दिनचर्या के साथ-साथ फिजियोथेरेपी की पुरानी पद्धतियों का अनुसरण कर अपने जीवन को स्वस्थ रख सकते हैं।
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