बद्दीसचिन बैेसल: नेपाल के जनकपुर धाम से आए बाल संत मनोज दास महाराज ने संगीतमय रामायण का बद्दी मेंं गुणगान किया। कौशल परिवार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम मे संत मनोज दास ने बताया कि सीतामड़ी बिहार में पनौड़ा धाम है। यहां पर सीता माता की उत्पति हुई थी। पहले इसका नाम सीता माही था। जिसका अर्थ है सीता माता धरती से पैदा हुई लेकिन बाद में इसका नाम बिगाड़ कर सीतामड़ी रख दिया है।
मिथला राज्य में जब आकाल पड़ गया तो संतो के कहने के बाद राजा जनक ने हल चलाया था और हल की नोक मिट्टी की हंडी में लगी जिसे खोद कर निकला तो उसमें कन्या थी। जनक इस कन्या को अपने घर ले गए और इनका नामकरण सीता रखा। वर्तमान में इस धाम में माता सीता का भव्य मंदिर का निर्माण होना है। यहां के लोगों ने मंदिर बनाने के लिए 22 ए$कड़ जमीन दान की है। यहां पर आयोध्या के श्री राम जैसा भव्य मंदिर बनाने की योजना है।
उन्होंने बताया कि इस पनौड़ा धाम के कलना से शिवरात्रि के दूसरे दिन एक परिक्रमा शुरू होती है तो जनकपुरी में जाकर समाप्त होती है। इस बीच सभी स्थान आते है जहा पर भगवान श्रीराम रूके और उन्होंने वहां पर कुछ न कुछ क्रीड़ा की थी। जहां पर भगवान राम ने धनुष तोड़ा उस स्थान से होते हुए यह प्ररिक्रमा दस दिन पूरी होती है। इस परिक्रमा कार्यक्रम में लाखों भक्त भाग लेते है।
16 वर्ष की आयु से 1998 से पंजाब के माछीवाड़ा की दुर्गा मंदिर से रामायण की कथा शुरू करने वाला संत मनोज दास ने अभी तक हजारों स्थानों पर रामायण की कथा कर दी है। बद्दी में कथा के दरौान उन्होंने करो हरिनाम का सिमरन, मै तो चली वंृदावन राणा जी समेत दर्जनों भजन प्रस्तुत कर भक्तों को झूमने पर विवश किया। बद्दी के विमल कुमार ने ढोलक व सचिन बैंसल ने चिमटा से उनका साथ दिया। कथा के समाप्ति पर कृष्ण कौशल, अंजलि कौशल, वंदना कौशल, कविता कौशल ने प्रसाद वितरण किया। इस मौके पर बीरबल दास, तरक्की लाल कौशल, महेश कुमार, शिव कुमार, रमन कौशल,चारूविंद कौशल, अरिंदम कौशल, शीला देवी, नीलम कौशल, भारवी, काशवी, विरेंद्र कौशल अपनी धर्मपत्नी के साथ इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए।
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