धर्म: कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसको देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। यह बीते दिन शनिवार को 1 नवंबर 2025 को मनाई गई। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और चातुर्मास भी खत्म हो जाता है। चातुर्मास खत्म होते ही पिछले चार महीने से रुके हुए शुभ-मांगलिक काम की शुरुआत भी हो जाती है। 6 जुलाई से चातुर्मास शुरु हुआ था। इसकी समाप्ति 1 नवंबर को हुई है। चातुर्मास के दौरान चार महीनों तक शादी, गृह प्रवेश, नामकरण, उपनयन और बाकी शुभ मांगलिक काम पर रोक रहती है। देवउठनी एकादशी वाले दिन यह रोक खत्म हो जाती है और दोबारा शुभ काम शुरु हो जाते हैं।
नवंबर-दिसंबर को इसलिए कहते हैं शादी का सीजन
देवउठनी एकादशी वाले दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जाग जाते हैं। अगले दिन विष्णु जी के शालीग्राम स्वरुप के साथ मां तुलसी का विवाह करवाया जाता है। इसके बाद बाकी लोगों के लिए भी शादी के मुहूर्त शुरु हो जाते हैं। ऐसे में लोग नवंबर-दिसबंर को शादी का सीजन कहते हैं। हालांकि यह जरुरी नहीं होता कि चातुर्मास खत्म होने के बाद आप किसी भी दिन शादी कर सकते हैं। हिंदू धर्म में शादी विवाह जैसे कार्यों के लिए ग्रह-नक्षत्रों की चाल के आधार पर शुभ तिथि और मुहूर्त निकाला जाता है। शादी के लिए ये शुभ तिथियां बहुत जरुरी मानी जाती है।
शादियों के लिए नवंबर में रहेंगे 14 शुभ मुहूर्त
नवंबर महीने की यदि बात करें तो इस महीने में हिंदू विवाह के लिए कुल 14 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इसमें शादी विवाह जैसे कार्य संपन्न किए जा सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवंबर महीने की 2,3,6,8,12,13,16,17,18,21,22,23,25,30 तारीखें शादी के लिए शुभ रहेगी। ऐसे में विवाह की तारीख तय करने से पहले आप किसी पंडित से वर-वधू की राशि-नक्षत्र के आधार पर ही तिथि-समय पक्का करें।