हरिओम योगा सोसाईटी ने महाराणा प्रताप नगर में धूमधाम से मनाया समारोह
बद्दी/सचिन बैंसल: रविवार को भारत रत्न बाबा भीमराव अम्बेडकर की जयंती हरिओम योगा सोसाईटी ने महाराणा प्रताप नगर बददी में धूमधाम से मनाई गई। इसमें दून विधानसभा से रिटार्यड आईएएस अधिकारी भारत भूषण भटटी हिमाचल प्रदेश सरकार और सेवानिृत कमांडर सुच्चाराम और रिटार्यड महाप्रबंधक एसएसटी कारपोरेशन केशव राम चंदेल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुई। इसके अलावा श्रीराम सेना के प्रांत संयोजक राजेश जिंदल विशेष अतिथि के तौर पर शामिल हुए। भारत भूषण भटटी ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और समाज मे होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था।
उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। श्रीराम सेना के प्रांत संयोजक राजेश जिंदल ने कहा कि आम्बेडकर विलक्ष्ण प्रतिभा के छात्र थे। कार्यक्रम के संयोजक कुलवीर सिंह आर्य व प्रभारी राम जपित मौर्य ने कहा कि बाबा साहेब को कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। सुच्चा राम ने कहा कि व्यावसायिक जीवन के आरम्भिक भाग में वे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे एवं वकालत भी की तथा बाद का जीवन राजनीतिक गतिविधियों में अधिक बीता। इसके बाद आम्बेडकर भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार और चर्चाओं में शामिल हो गए और पत्रिकाओं को प्रकाशित की। केशव राम चंदेल ने कहा कि बाबा भीमराव अम्बेडकर ने उन्होंने दलितों के लिए राजनीतिक अधिकारों की तथा सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत की और भारत के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। हरिओम योगा सोसाईटी के चेयरमैन व प्रसिद्व समाजसेवी डा. श्रीकांत शर्मा ने कहा कि हिंदू धर्म में व्याप्त कुरूतियों और छुआछूत की प्रथा से तंग आकार सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है। डॉक्टर आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं। उनका निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ, इसलिए हर साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस आयोजित किया जाता है।