नई दिल्ली: शुक्रवार को अलास्का में एक अमेरिकी एयरबेस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत के लिए अमेरिका और रुस के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन मिलने वाले हैं। पिछले चार साल से ज्यादा समय में किसी मौजूदा अमेरिकी और रुसी राष्ट्रपति के बीच में होने वाली यह पहली शिखर बैठक होगी। ऐसे में इस बैठक से हर किसी की काफी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं लेकिन मॉस्को और कीव के बीच युद्ध खत्म करने के तरीकों पर अब भी गहरी खाई है।
यह पुतिन की किसी पश्चिमी देश की पहली यात्रा होगी। जब से उन्होंने फरवरी 2022 में युक्रेन पर हमला किया था। इसके साथ ही उनका 10 साल में पहला अमेरिकी दौरा भी होगा। पुतिन के लिए जो आक्रमण के बाद से पश्चिम से अलग-थलग पड़े हैं। यह बैठक रुस की सख्त शर्तों से आगे बढ़ाने का मौका है। जून में जारी एक मसौदा शांति योजना में रुस ने यूक्रेन से कहा था कि वह खेरसॉन, लुगांस्क, जापोरिज्जिया और डोनेत्सक क्षेत्रों से अपनी सेना हटा लें।
इनको रुस ने 2022 में अपना घोषित किया था। यूक्रेन ने इसको खारिज कर दिया। रुस ने यह भी मांग की है कि यूक्रेन सेना की भर्ती रोके, नाटो में शामिल होने की महत्वाकांक्षा छोड़े और पश्चिमी देश तुरंत हथियारों की सप्लाई बंद करें। आलोचकों का कहना है कि यह यूक्रेन के आत्मसमर्पण जैसा है। जमीन के साथ-साथ रुस चाहता है कि यूक्रेन रुसी भाषा आबादी के अधिकार और स्वतंत्रता सुनिश्चित करें और जिसे वह नाजीवाद की महिमा कहता है। उस पर रोक लगाए रुस भी यही चाहता है कि पश्चिमी प्रतिबंध हटाए जाएं।