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रूस-यूक्रेन युद्ध में स्टडी वीजा पर गए अजय गोदारा की मौत, पैतृक गांव में किया अंतिम संस्कार, देखें वीडियो

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बीकानेरः रूस-यूक्रेन में अभी तक जंग जारी है। वहीं दोनों देशों की जंग में कई भारतीयों की मौत हो चुकी है। वहीं एक और भारतीय की मौत की घटना सामने आई है। जहां बीकानेर के 22 वर्षीय अजय गोदारा की इस जंग में मौत हो गई। अजय गोदारा की कहानी दिल को दहला देने वाली है। दरअसल, अजय बेहतर भविष्य के लिए स्टडी वीजा लेकर रूस गया था। लेकिन उसे पता नहीं था कि उसके साथ इतना बुरा होगा कि वह जिंदा घर नहीं लौट पाएगा। अजय के परिजनों का आरोप है कि रूस पहुंचने के बाद उसे जबरन सेना में भर्ती कर 4 दिन बाद ही लड़ने लिए यूक्रेन बॉर्डर पर भेज दिया गया और वहां उसकी मौत हो गई।

10 दिन पहले परिजनों को जब उसकी मौत की सूचना मिली तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई। धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध के मोर्चे पर भेजे गए अजय का शव बुधवार को दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचा, जहां से परिजन उसे पैतृक गांव अरजनसर लेकर आए और अंतिम संस्कार किया गया। जहां अंतिम संस्कार के दौरान पहले भारत माता की जय के नारे लगाए गए और उसके बाद अजय गोदारा अमर रहे के नारे लगाए गए। परिवार का आरोप है कि शव पूरी तरह सड़ चुका था और इतनी खराब हालत में था कि परिजनों को ठीक से दिखाने तक नहीं दिया गया।

मौत कब और कैसे हुई, इसकी भी कोई स्पष्ट जानकारी परिवार को नहीं दी गई। परिजनों के अनुसार अजय नवंबर 2024 में मॉस्को में भाषा कोर्स की पढ़ाई के लिए गया था। परिवार से उसकी आखिरी बातचीत 22 सितंबर को हुई थी। इसके बाद अजय ने दो वीडियो भेजे, जिनमें उसने खुलासा किया कि उसे और उसके साथियों को ट्रेनिंग के बहाने रूसी सेना में शामिल कर सीधे युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया। पहले वीडियो में अजय ने बताया था कि वह यूक्रेन में है और तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद युद्ध लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

उसने कहा था कि नौ भारतीय छात्रों को भी इसी तरह ट्रेनिंग दी गई है। मना करने पर रूसी सैनिकों ने धमकाया कि यहां कोई सुनने वाला नहीं है। अजय ने वीडियो में कहा था कि एक बार परिवार से बात कर लो, ये मेरा आखिरी वीडियो हो सकता है। अगर कल से कॉल नहीं आया तो समझ लेना मैं मर गया। दूसरे वीडियो में अजय ने बताया कि उन पर हवाई हमले और मिसाइलें दागी गईं। चार लोगों के समूह में एक की मौत हो गई, दो भाग गए और वह रास्ता भटक गया। आठ दिन बाद उसे खोजकर फिर सेना को सौंप दिया गया। उसने बताया कि वह सेलिडोज सिटी में है, जो यूक्रेन का वह हिस्सा है, जिस पर रूस का कब्जा है। वीडियो में उसने कहा था कि उनके साथ धोखा किया गया है। वीडियो सामने आने के बाद परिवार लगातार अजय को भारत वापस लाने के प्रयास करता रहा।

इस दौरान परिजनों ने केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से भी मुलाकात कर मदद की गुहार लगाई थी। 10 दिसंबर को परिवार को रूस से फोन आया कि अजय की मौत हो गई है और शव भारत भेजा जाएगा। बुधवार सुबह शव दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा। परिजनों का कहना है कि शव की हालत बेहद खराब थी, चेहरा दिखाकर तुरंत ढंक दिया गया और ठीक से देखने तक नहीं दिया गया। मौत की तारीख और कारण को लेकर भी कोई जानकारी साझा नहीं की गई। अजय अपने परिवार का इकलौता बेटा था और पढ़ाई के सपनों के साथ रूस गया था लेकिन एजेंटों के धोखे में फंसकर युद्ध का शिकार बन गया। परिवार ने सरकार से मांग की है कि ऐसे फर्जी एजेंटों पर सख्त कार्रवाई की जाए और रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे अन्य भारतीय युवाओं को सुरक्षित भारत लाया जाए।

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