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अहिल्याबाई की शासन व्यवस्था मोदी सरकार के कृतत्व में प्रतिलक्षित: त्रिलोक जमवाल

अहिल्याबाई का जीवन आत्मसात करे वर्तमान समाज:त्रिलोक जमवाल

18वीं शताब्दी में महिलाओं और वंचित समाज के लिए प्रेरणा बनी थी अहिल्याबाई: त्रिलोक जमवाल

ऊना/सुशील पंडित: जिला ऊना के भाजपा कार्यालय में महारानी अहिल्याबाई होल्कर की जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बिलासपुर के विधायक एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जमवाल ने बताया कि यह आयोजन देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में 31 मई तक किए जाएंगे, जो होल्कर  के जन्मदिवस को समर्पित होंगे।

त्रिलोक ने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर जी ने उस समय में महिलाओं, आदिवासी व जनजातीय समाज, शोषित और पीड़ित वर्ग के कल्याण के लिए कार्य किए जब ऐसे विचार भी समाज में अल्प थे। उन्होंने सत्ता को जनसेवा और न्याय का माध्यम बनाकर करुणा व न्याय से जनमानस में देवी का स्थान स्थान प्राप्त किया।

उन्होंने महिला कल्याण, सामाजिक न्याय, धर्मनिष्ठा और सांस्कृतिक उत्थान पर विशेष बल दिया। 1725 में अहमदनगर के गांव चांदी में जन्मी अहिल्याबाई ने समाज में पिछड़े समझे जाने वाले गायरी धनगर समाज से होते हुए भी शासन व धर्म दोनों क्षेत्रों में गहरी छाप छोड़ी।

त्रिलोक ने कहा कि परिवारिक कष्टों के बावजूद अहिल्याबाई ने न केवल मालवा राज्य का संचालन किया, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने राज्य के प्रशासन, न्याय व्यवस्था व राजस्व प्रणाली में स्थायित्व और आदर्श प्रस्तुत किया।

त्रिलोक ने कहा कि वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाएं उसी सोच की निरंतरता हैं जो अहिल्याबाई होल्कर जी के शासनकाल में दिखाई देती हैँ।

उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर जी का जीवन वर्तमान समाज के लिए आदर्श है। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई जी ने राज्य, समाज और धर्म के लिए जो कार्य किए, वे आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने असंख्य कुएं, बावड़ियां, प्याऊ और मंदिर निर्माण करवाए।किसानों को उन्नत बीज देकर कृषि व राज्य की अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया। “अन्न वितरण केंद्रों” की स्थापना कर खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी, जो आज पीएम गरीब अन्न योजना में परिलक्षित होती है।

त्रिलोक ने बताया कि राजनीतिक निर्णयों में भी उनका दृष्टिकोण अनुकरणीय था। उन्होंने योग्य व्यक्तियों को नेतृत्व में स्थान दिया। 1767 में तुकोराव होल्कर को सैन्य प्रमुख बनाकर राज्य की रक्षा और समाज कल्याण के दोहरे उद्देश्य को साधा।

धार्मिक पुनर्निर्माण कार्यों में योगदान:

1780: काशी विश्वनाथ मंदिर का नव निर्माण

1783: सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण

उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई होल्कर जी ने हिन्दू धर्म और महिला अधिकारों के लिए जो कार्य किए, उसी के कारण उन्हें “पुण्यश्लोक” की उपाधि मिली। उन्होंने आह्वान किया कि आज की पीढ़ी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज के कल्याण और समान प्रगति हेतु आगे बढ़ना चाहिए।

त्रिलोक ने सम्बोधन में कहा कि अहिल्याबाई ने राज्य की सैन्य और सांस्कृतिक योजना को इस प्रकार विकसित किया कि मालवा राज्य लगभग तीन दशकों तक वैभव के शिखर पर रहा। उनके नेतृत्व में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक समरसता का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत हुआ।

इस मौके पर संसदीय क्षेत्र सह प्रभारी एवं प्रदेश सचिव सुमीत शर्मा,जिला अध्यक्ष शाम मिन्हास, पूर्व मंत्री वीरेंद्र कँवर,पूर्व विधायक बलबीर सिंह, प्रो राम कुमार, अनु ठाकुर, मिनाक्षी, जिला परिषद अध्यक्ष नीलम, अनीता जसवाल,सीमा दत्ता, पुष्पा चौधरी, उर्मिला चौधरी, इंदु, ममता, धर्मेंद्र राणा, सागर दत्त, राहुल, कृपाल सिंह, सागर दत्त, लक्ष्मी जरयाल महिला मोर्चा, जनप्रतिनिधि व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे ।

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