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प्राकृतिक खेती अपनाए जिंदगी को सफल बनाएं, बंगाणा कार्यशाला सम्पन्न

किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए आत्मा परियोजना हर मंडल स्तर पर लगा रही प्रशिक्षण शिविर:डॉ शामली गुप्ता

ऊना/सुशील पंडित: उपमंडल बंगाणा कृषि विभाग आत्मा परियोजना विकास खंड बंगाणा द्वारा दो दिवसीय प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन उप परियोजना निदेशक ऊना डॉ शामली गुप्ता के सौजन्य से संपूर्ण हुआ।

इस शिविर में 10 पंचायतों से 45 किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती कर रहे प्रगतिशील किसान तिलकराज ग्राम पंचायत धुंधला व, बलजीत  ग्राम पंचायत पीपलू ,ने अपने प्राकृतिक खेती के अनुभवों को किसानों के सामने रखा वह बताया कि प्राकृतिक खेती से उन्हें अधिक मुनाफा हो रहा है तो आप सब भी प्राकृतिक खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

इस कार्यक्रम में आत्मा परियोजना विकास खंड बंगाणा के अधिकारियों, खंड तकनीकी प्रबंधक रवि कुमार, सहायक खंड तकनीकी प्रबंधक शवेता ठाकुर और प्रियंका शर्मा ने किसानों को प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। साथ ही, उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले घटकों के प्रयोगात्मक तरीके से प्रशिक्षण भी दिया। इस प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक खेती के महत्व और इसके लाभों के प्रति जागरूक करना था, ताकि वे अधिक से अधिक प्राकृतिक खेती अपनाएं और सुरक्षित एवं स्वस्थ खाद्य उत्पादों का उत्पादन कर सकें।

प्राकृतिक खेती अपनाए, जिंदगी खुशहाल बनाए” विषय पर आधारित एक दो दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम उद्देश्य किसानों को रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से अवगत कराना और उन्हें प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करना था। पहले दिन विशेषज्ञों ने प्राकृतिक खेती की विधियों जैसे जीरो बजट खेती, जीवामृत, गोमूत्र व वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग की जानकारी दी। किसानों को बताया गया कि किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर बिना अधिक खर्च के भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखा जा सकता है। दूसरे दिन स्थानीय किसानों द्वारा अपनाई गई सफल प्राकृतिक खेती की कहानियों को साझा किया गया। साथ ही, कार्यशाला के माध्यम से किसानों को प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया।

महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी ने कार्यक्रम को और अधिक समृद्ध बनाया। किसानों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल स्वास्थ्यवर्धक फसलों का उत्पादन करती है, बल्कि मिट्टी और पर्यावरण की रक्षा भी करती है। आयोजकों ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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