वाराणसीः हरहुआ विकासखंड के कोईराजपुर गांव की वरुणा नदी में एक बेहद दुर्लभ और विशेष प्रजाति की मछली मिलने से लोग हैरान हैं। यह मछली एक मछुआरे के जाल में फंसी, जिसे बाद में रिंग रोड फेज दो के किनारे स्थित संस्कार ढाबा के सामने पानी की टंकी में सुरक्षित रखा गया। मछली की पहचान कुछ लोग करचामा मछली के नाम से कर रहे हैं, जिसे वैज्ञानिक भाषा में हाइपोस्टोमस प्लीकोस्टोमस या अमेज़न सेलफिन कैटफ़िश कहा जाता है। इस मछली की खासियत इसका चूसने जैसा मुंह, चार आंखों जैसा दिखने वाला चेहरा और पत्थर जैसी कठोर त्वचा है। इसके शरीर पर हड्डी जैसी प्लेटें हैं।
ढाबा संचालक सुरेंद्र यादव के अनुसार, उन्होंने अपने जीवन में ऐसी मछली कभी नहीं देखी। उनके साथ मौजूद मनीष राय, दीनू पाल और भगवान दास ने भी यही बात कही। जैसे-जैसे मछली की खबर फैली, आस-पास के गांवों से लोग इस अजीबोगरीब जलीय जीव को देखने के लिए पहुंचने लगे। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि यह मछली वरुणा नदी में कैसे पहुंची। हालांकि, अभी तक वन विभाग या मत्स्य पालन विभाग को इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई है। नमामि गंगे से जुड़े हुए दर्शन निषाद ने बताया कि इस तरह की मछलियां अमेजन की नदियों में पाई जाती हैं।
बाढ़ के कारण बहकर इधर आ गई होंगी। ये मांसाहारी होती हैं। जलीय जीवों के अंडों को चूसकर जिंदा रहती हैं। भदोही के डीघ ब्लॉक के धनतुलसी गांव के गंगा घाट पर मछुआरों के जाल में चार आंखों वाली मछली फंसी। इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। मछली के शरीर पर कांटे हैं। मछुआरों ने बताया कि इस प्रजाति को कैटफिश कहते हैं। यहां नहीं पाई जाती। पानी के बाहर घंटों जीवित रहती है। मेंढक की तरह उछल-कूद करती है।
धनतुलसी गांव के मछुआरा कप्तान चौधरी मछली पकड़ रहे थे। इस दौरान उनके जाल में दुर्लभ प्रजाति की मछली फंस गई। मछुआरे चार आंख वाली मछली देखकर दंग रह गए। वह उसे अपने साथ घर ले गए। औराई रेंजर राहुल सिंह कौशिक ने बताया कि मछली का यह प्रजाति यहां नहीं पाई जाती। यह मांसाहारी प्रवृत्ति की होती है। कहीं से भटककर कर यहां आ गई होगी। इसकी आधिकारिक जानकारी ली जा रही है।