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आसमान में दिखी जेलीफिश जैसी रहस्यमयी आकृति, देखकर हर कोई हुआ हैरान, देखें वीडियो

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प्रकृति हमें आए दिन ऐसे नजारे दिखाती है, जो हमें हैरान कर देते हैं। द सन् ने हाल ही में अपने ट्विटर अकाउंट से एक ऐसा वीडिओ शेयर किया है, जो देखने लायक है। यह वीडियो एक साल पुराना है, लेकिन इस नजारे ने लोगों को आज भी रोमांचित कर दिया। रूस में अमूर ओब्लास्ट इलाके के लोगों ने आसमान में चमकती हुई जेलीफ़िश के आकार की चीज़ को उड़ते हुए देखा था। जिसे कैमरे में कैद कर लिया गया। वायरल हॉग ने यूट्यूब पर इस वीडियो को शेयर किया था। इसमें धूमकेतु जैसी चीज़ पृथ्वी की ओर आती हुई दिखाई दे रही है। वीडियो में दिखने वाली ये चीज़ इतनी खूबसूरत है कि लोग इसकी सुंदरता में खो गए।  एक लड़के ने यह वीडियो बनाया है जो अपने दोस्त से रूसी भाषा में बात कर रहा है। उसकी बातों से लग रहा है कि वह इसे देखकर खासा उत्साहित है। उसने ज़ूम करके उस चमकती हुई चीज़ को करीब से दिखाने की कोशिश भी की। इसके ठीक आगे की तरफ एक चमकदार बिंदू भी नजर आ रहा है।

वीडियो के कैप्शन में यूजर ने लिखा, ‘मैंने और मेरे दोस्तों ने आसमान में किसी चीज़ को चलते हुए देखा। यह एक कॉमेट या धूमकेतु की तरह लग रहा था, लेकिन यह धीरे-धीरे उड़ रहा था और हमें एहसास हुआ कि यह किसी तरह का रॉकेट या उड़ने वाली मशीन है। थोड़ी देर बाद ही यह फट गया और जेलीफ़िश की तरह पैटर्न बन गया, हमने विस्फोट जैसी आवाज़ भी सुनी थी।’ हालांकि एक्सपर्ट्स की तरफ से इस बात की जानकारी नहीं मिली है कि ये चीज़ आखिर थी क्या, लेकिन इस वीडियो में लोगों ने कमेंट करके अंदाजा लगाया है कि ये चीज़ आखिर क्या हो सकती है। एक यूज़र ने कहा कि ये एक रॉकेट हो सकता है। उसने लिखा कि यह पृथ्वी के वायुमंडल से एक रॉकेट जाता हुआ लग रहा है।

दूसरे व्यक्ति ने लिखा कि ये किसी सैटेलाइट का पृथ्वी के वातावरण में दोबारा प्रवेश हो सकता है और पीछे की तरफ लीथियन जल रही है। तो किसी ने कहा कि ये रॉकेट है। रूस की वोस्टोचन कोस्मोड्रोम रॉकेट लॉन्च साइट अमूर ओब्लास्ट में स्थित है। इसलिए वहां से उड़ान भरने के बाद एक मिसाइल फिर से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सकती है। इतना ही नहीं, लोग इसे देखकर इतने रोमांचित थे कि उन्होंने इसे यूएफओ, एस्टेरॉयड, धूमकेतु और उल्कापिंड तक कहा। हालांकि, एक व्यक्ति ने दावा किया कि यह एक एक उल्कापिंड हैं। एक साल में हमें इस तरह के कई उल्कापिंड देखने मिलते हैं। यह काफी आम हैं। उल्कापिंड जब हमारे वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो वे जलने लगते हैं और इनके पीछे प्रकाश की एक लकीर बन सकती है। वे अक्सर समुद्र या निर्जन इलाकों पर गिरते हैं, इसलिए उनका पता नहीं चल पाता।

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