Advertisements
Ad 6
Advertisements
Ad 8
Advertisements
Ad 7

बीबीएन में भीष्ण गर्मी के बीच कुछ अलग ही अंजाम दे रहे नालागढ़ के युवा

बीबीएन में भीष्ण गर्मी के बीच कुछ अलग ही अंजाम दे रहे नालागढ़ के युवा बीबीएन में भीष्ण गर्मी के बीच कुछ अलग ही अंजाम दे रहे नालागढ़ के युवा

मानवता के नाते बेजुबानों के लिए पानी उपलब्ध करवाने का उठा रहे बीड़ा

पाणी दी सेवा गु्रप ने आठ तालाबों का निर्माण कर पशु पक्षियों की चिंता खत्म की

बददीसचिन बैंसल: उत्तर भारत में पड़ रही रिकार्ड तोड गर्मी ने जहां लोगों का जीना दूभर कर रखा है वहीं हर तरफ पेयजल की कमी नजर आ रही है। प्राकृतिक जल स्रोतों के साथ साथ उठाऊ पेयजल योजनाओं का जल स्तर तो नीचे चला ही गया साथ में नदियों पर बनी स्कीमें भी हांफने लगी है। हिमाचल प्रदेश का शायद कोई ही हिस्सा होगा जहां पेयजल की कमी नहीं होगी। मानव तो जैसे कैसे करके पीने का पानी व अन्य जरुरतों के लिए जल का इंतजाम कर लेता है लेकिन सबसे मुश्किल आती है बेजुबान पशु पक्षियों व जानवरों की। 

जंगलों में बने हुए पोखर व तालाब सूख चुके हैं तो बांबडियां भी दम तोड गई है। सूर्य देव का यह तांडव बेजुबानों के लिए कहर बनकर टूटा। नदिंया सूख गई पानी नहीं मिला तो जाएं तो जाएं कहां। इसी बीच इंसानियत की उच्च सोच लेकर नालागढ़ के युवाओं ने पंछियों व प्रकृति में विचरने वाले पशुओं तथा अन्य जानवरों के लिए कृत्रिम तालाब बनाने की मुहिम शुरु की। पाणी दी सेवा नाम एक समूह बनाकर पहले तो नालागढ़ के आसपास उन तालाबों को चिन्हित किया गया जो कि पहले से बने हुए थे। 

संयोजक एडवोकेट शशि भूषण कौशल, पवन कुमार, गुरप्रीत, रेशम, गुरप्रीत सुलतान, इमरान, प्रिंस, लक्की, रुस्तम, संतोखा व सिंकदर ने बताया कि हमने इस समूह के तहत नालागढ़ शहर के आसपास तालाबों को साफ किया फिर सब यार दोस्तों ने जन सहयोग से मिलकर इन तालाबों में पानी डालना शुरु किया। उन्होने कहा कि पहले मई जून में थोडी वर्षा हो जाती है थी लेकिन इस बार जून में सूखा पड़ गया। पशु पक्षी बिना पानी तडप रहे थे तो कुछ पक्षी मर भी रहे थे। इसके लिए मिल जुलकर ट्रैक्टर, जेसीबी का सहारा लिय गया वहीं जब कृत्रित तालाब व पोखर तैयार हो गए तो उसमें टैंकरों से जल डाला गया। इस जल का पशु पक्षियों को बहुत सहारा मिला।


हम मांग सकते हैं पानी लेकिन बेजुबान नहीं-शशि भूषण
इस विषय में स्वयंसेवी कार्यकर्ता एडवोकेट शशि भूषण ने बताया मानव तो बोल सकता है और पानी के पास जा सकता है लेकिन बेजुबांन किससे पानी मांगे और कहां जाएं। यह प्राणी जंगलो में ही पानी ढूंढते हैं। कुछ जानवर पानी न मिलने के कारण शहर की ओर भागते हैं तो कुछ मृगतृष्णा की तरह सूखी नदियों में। कुछ तो मर भी जाते हैं लेकिन हमसे यह देखा नहीं गया और हम दोस्तों ने सरकारी सहायता के बिना इस काम को शुरु किया और इसमें हम सफल भी हुआ। जिस भी तालाब में पानी सूख जाता है हमारी टीम वहां पहुंच जाती है। कैपशन-पाणी दी सेवा गु्रप के सदस्य पशु पक्षियों के लिए पानी के तालाब बनाने व उनमें पानी डालने के दौरान । 

Disclaimer: All news on Encounter India are computer generated and provided by third party sources, so read carefully and Encounter India will not be responsible for any issue.


Encounter India 24 Years Celebration
Add a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page