शंभूः पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों के धरने से परेशान आसपास के गांवों के लोग अब सख्त कदम उठाने वाले हैं। उन्होंने कई महीनों से बंद रास्ता खुलवाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है, जो यह तय करेगी कि बनूड़ रोड को जाम किया जाए या फिर हाई कोर्ट का रुख। यदि ग्रामीणों ने जाम लगाया तो अंबाला जाने को 32 किमी का ऊबड़ खाबड़ रास्ता ही बचेगा। शंभू बॉर्डर का रास्ता खोलने की मांग करने वाले शंभू के निकटवर्ती गांवों के लोग यदि बुधवार को अपनी मांग के समर्थन में बनूड़ रोड जाम करने का फैसला करते हैं तो उससे वे लोग विशेष रूप से परेशान होंगे, जो लुधियाना से अंबाला के लिए जाने वाले हैं।
जो शंभू बॉर्डर बंद होने के कारण राजपुरा से बनूड़ का रास्ता अपनाते हैं। ऐसे में लोगों को बनूड़ से डेराबस्सी होकर अंबाला जाने का रास्ता अपनाना पड़ सकता है। सामान्य स्थिति में राजपुरा से नेशनल हाईवे के जरिये अंबाला जाना हो तो यह रास्ता करीब 22 किलोमीटर है। शंभू बार्डर बंद होने से राजपुरा से वाया बनूड़ होते हुए अंबाला का सफर अब लगभग 45 किलोमीटर का हो गया है। अब अगर बुधवार को बनूड़ रोड पर भी जाम लगा दिया जाता है तो राजपुरा से अंबाला जाने के लिए लोगों को शंभू व घनौर का रूट लेना पड़ेगा, जो लगभग 32 किलोमीटर का रास्ता होगा।
यह रास्ता ऊबड़ खाबड़ और अत्यंत परेशानी वाला है। उधर, धरने पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने मंगलवार को धरनास्थल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हमने नहीं बल्कि केंद्र व हरियाणा सरकार ने रास्ता रोका है। किसान चाहते हैं कि रास्ता खोला जाए और उन्हें दिल्ली जाने दिया जाए, जहां वे अपना शांतिपूर्वक प्रदर्शन करके अपनी मांगें मनवा सकें।
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